भारतीय वैज्ञानिक दंपती ने खोली चीन की पोल : वुहान लैब से लीक हुआ कोरोना वायरस, शोध में दी ये अहम जानकारी
दो किलोमीटर तक चलीं पैदल
अक्सर देखा जाता है जब परिवार की किसी बुजुर्ग कोरोना वायरस की चपेट में आ जाते है तो घरवाले उसे दूरी बना लेते है। उनके एक अलग कमरे में शिफ्ट कर दिया जाता है ताकि बाकी घरवालें संक्रमित नहीं हो। लेकिन असम के नगांव की रहने वाली निहारिका दास ने ऐसा नहीं किया। निहारिका अपने कोरोना संक्रमित ससुर को पीठ पर लादकर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचीं थीं। आपको यह जानकर हैरानी होग कि वह करीब दो किलोमीटर तक पैदल चलीं, उसके बाद अस्पताल पहुंचीं।
एक्सपर्ट ने वैक्सीनेशन के हालात पर जताई चिंता, कहा- समय रहते नहीं सुधरे तो भयानक होगी तीसरी लहर!
मदद के लिए कोई नहीं आया आगे
निहारिका के ससुर थुलेश्वर दास राहा क्षेत्र के भाटिगांव में सुपारी विक्रेता थे। वहीं निहारिका के पति सिलीगुड़ी में काम करते हैं। 2 जून को थुलेश्वर दास की तबीयत बिगड़ी और उनमें कोरोना के लक्षण नजर आए। उन्हें 2 किमी दूर राहा के स्वास्थ्य केंद्र ले जाने के लिए बहू निहारिका ने रिक्शे का इंतजाम किया, लेकिन ऑटो रिक्शा घर तक नहीं आ सका। घर में कोई सदस्य मौजूद नहीं था जो उनके ससुर को अस्पताल तक पहुंचा सके। ऐसे में निहारिका ने ससुर को पीठ पर लादकर वह ऑटो स्टैंड तक ले गईं और फिर स्वास्थ्य केंद्र पर ऑटो से निकालकर अस्पताल के अंदर ले गईं। इस दौरान किसी ने 6 साल के बेटे की मां निहारिका की मदद नहीं की।
खुद भी हो गईं कोरोना पॉजिटिव
अस्पताल ले जाने के बाद निहारिका को डॉक्टरों ने कहा कि उनके ससुर की स्थिति गंभी है। इसलिए उनको 21 किलोमीटर दूर स्थित कोविड अस्पताल में लेकर जाना होगा। वहां पर उनको कोई एंबुलेंस और स्ट्रेचर की व्यवस्था नहीं मिली। ऐस में एक बार फिर से ससुर को अपनी पीठ पर लादकर गाडी पर लेकर जाना पड़ा। इसके चलते शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी मशक्कत करनी पड़ी। हालांकि इतनी मेहनत के बाद भी निहारिका अपने ससुर को नहीं बचा सकीं और खुद भी कोरोना पॉजिटिव हो गईं।