आपको बता दें कि गौतम नवलखा ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट याजिका दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायाल ने जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया है।
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इजराइल में हुए फिलिस्तिनी रॉकेट हमले में केरल की महिला की मौत, वीडियो कॉल पर पति से कर रही थी बात न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की एक पीठ ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ गौतम नवलखा कि याचिका खारिज कर दी। इसके बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा। आपको बता दें कि 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा और NIA की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। साथ ही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने NIA को नोटिस जारी किया था।
ये था हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने कहा था कि 2018 में घर में नजरबंदी के दौरान बिताए गए 34 दिन डिफॉल्ट जमानत के लिए नहीं गिने जा सकते हैं। ये है पूरा मामला
पुलिस के मुताबिक 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की बैठक में कथित तौर पर उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिया गया था। इस भाषण के बाद भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की थी।
पुलिस ने यह आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम को कुछ माओवादी संगठनों का भी समर्थन मिला हुआ था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी इसकी जांच कर रही है।
यह भी पढ़ेंः 11 सौ साल पुरानी कविता शेयर करना चीन के अरबपति को पड़ा भारी, उठाना पड़ा 18365 करोड़ रुपए का नुकसान, जानिए वजह पिछले साल अप्रैल में नवलखा ने किया सरेंडरइसी मामले में गौतम नवलखा के खिलाफ जनवरी 2020 को दोबारा प्राथमिकी दर्ज की गई थी और पिछले साल 14 अप्रैल को नवलखा ने एनआईए के समक्ष सरेंडर किया था।
वह 25 अप्रैल तक 11 दिन के लिए एनआईए की हिरासत में रहे और उसके बाद से ही नवी मुंबई के तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।