दरअसल कोरोना वायरस संकट के चलते मार्च में ही सीबीएसई और आईसीएसई ( ICSE ) समेत कई स्टेट बोर्ड के भी कुछ पेपर बाकी रह गए थे। हालांकि कुछ स्टेट बोर्ड ने परीक्षा लिए बिना ही छात्रों को पास कर अगली क्लास में भेज दिया था। लेकिन सीबीएसई ने बचे हुए पेपर के लिए 1 से 15 जुलाई का शेड्यूल जारी किया था।
लेकिन बाद में सीबीएसई के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई। इसके बाद गई और एग्जाम रद्द कराने की मांग की गई।
चीन से तनाव के बीच दिल्ली में चीनी नागरिकों को लेकर उठाया बड़ा कदम, जानें पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, सीबीएसई से कक्षा 12 की परीक्षाओं के संबंध में नए सिरे से अधिसूचना जारी करने और राज्य बोर्ड परीक्षाओं की स्थिति के बारे में स्पष्टीकरण मांगा। कोर्ट कल यानी 26 जून को मामले की सुनवाई जारी रखेगा।
मानसून को लेकर मौसम विभाग ने जारी किया सबसे बड़ा अलर्ट, देशभर के इन राज्यों में होगी मूसलाधार बारिश, जानें अपने इलाके का हाल पैरेंट्स की ओर से लगाई गई इस याचिका में कहा गया था कि कोरोनावायरस का खतरा हर तरफ बढ़ रहा है, ऐसे में एग्जाम होने पर बच्चों की सुरक्षा खतरे में है।
बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए सीबीएसई (CBSE Board) के फैसले को रद्द किया जाए। ये पड़ेगा असर
इसका असर सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की प्रवेश प्रक्रिया के साथ-साथ जेईई मेन और नीट 2020 सहित राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा पर भी पड़ेगा।
अब आगे क्या
वैकल्पिक मूल्यांकन प्रणाली के आधार पर परिणाम घोषित किया जाएगा। CBSE ने वैसे भी परीक्षा के लिए आंतरिक मूल्यांकन मानदंड का पालन करने का सुझाव दिया था। ICSE बोर्ड को परीक्षा रद्द करने का आदेश
वहीं ICSE Board ने सुप्रीम कोर्ट को परीक्षाएं रद्द करने का आदेश दिया। ICSE ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि हम परीक्षा रद्द करने के लिए सहमत हैं। कोर्ट ने कहा दोबारा परीक्षा का विकल्प नहीं दिया जाएगा। महाराष्ट्र राज्य ने बॉम्बे HC को बताया है कि वे परीक्षा आयोजित नहीं कर सकते। इसमें भी आंतरिक मूल्यांक प्रणाली के जरिये ही बच्चों को नंबर दिए जाएंगे।
आपको बता दें कि काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) ने कुछ समय पहले ही 10वीं और 12वीं के बचे हुए पेपर्स की परीक्षा के लिए शेड्यूल जारी किया था।