पाकिस्तान से मिलता है अनुदान?
बता दें कि जमात-ए-इस्लामी ने सरकार की कार्रवाई के बाद कहा है कि वह एक समाजिक संगठन है। जमात-ए-इस्लामी 400 से अधिक स्कूल चलाता है जबकि तकरीबन 350 मस्जिद और कई हजार मदरसे भी खोल रखे हैं। बताया जा रहा है कि यह संगठन इन सभी के जरिए चंदा उगाही करने का काम करता है। सबसे बड़ी बात कि पाकिस्तान से भी चंदा लेता है। इसका खुलासा पाकिस्तान की एक रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि पाक सरकार से जमात-ए-इस्लामी ने शिक्षा और समाजसेवा के नाम पर अनुदान लिए हैं। चंदा देने में हुर्रियत नेताओं समेत कई विदेशी संगठन भी शामिल हैं। ये बात सामने आई है कि यदि आलीशान भवनों, बैंक खातों और अवैध संपत्तियों का आंकलन किया जाए तो जमात-ए-इस्लामी तकरीबन 4500 करोड़ रुपए का मालिकाना हक रखता है। फिलहाल इस बारे में सरकार ने कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है और न हीं सीज किए गए बैंक खातों की कोई जानकारी सार्वजनिक किया है।
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कई बार लग चुका है बैन
बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब जमात-ए-इस्लामी पर बैन लगाया गया है। जमात-ए-इस्लामी पर इससे पहले दो बार और बैन लग चुका है। पहली बार 1975 में इस संगठन पर तीन वर्ष का बैन लगाया गया था। आरोप था कि जमात-ए-इस्लामी राजनीति में आकर कटरपंथ को फैलाना चाहते हैं। वहीं दूसरी बार 1990 में इस पर दो वर्ष का बैन लगाया गया था। दूसरी बार आरोप यह लगा था कि कश्मीर में कटरपंथ को फैलाया जा रहा है। वहीं अब 2019 में सरकार ने फिर से पांच बर्ष के लिए बैन कर दिया है। इस बार आरोप है कि कश्मीर को अस्थिर करने और अवैध गतिविधियों में लिप्त है। बता दें कि जमात-ए-इस्लामी को बैन करने और उनके संपत्तियों को जब्त करने पार राजनीति भी शुरू हो गई है। महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि सरकार अपने निजी हितों के लिए यह सब कर रही है, जबकि यह एक समाजिक संगठन है।