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इतने हजार करोड़ रुपए का मालिक है जमात-ए-इस्लामी संगठन, केद्र सरकार ने कसा शिकंजा

अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर केंद्र सरकार का शिकंजा।
अब तक 52 करोड़ की संपत्ति की जब्त, 70 से अधिक बैंक खाते किए सीज।
जमात-ए-इस्लामी पर गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने का है आरोप।
पांच वर्ष के लिए लगाया गया है प्रतिबंध।

नई दिल्लीMar 05, 2019 / 08:18 am

Anil Kumar

जमात-ए-इस्लामी पर सरकार का शिकंजा, इतने हजार करोड़ रुपए का मालिक है यह संगठन

जमात-ए-इस्लामी पर सरकार का शिकंजा, इतने हजार करोड़ रुपए का मालिक है यह संगठन

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी संगठनों और नेताओं पर सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है। जिसको लेकर जमकर राजनीति भी शुरू हो गई है। इसी कड़ी में बीते दिनों केंद्र सरकार ने अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत करते कार्रवाई करते हुए जमात-ए-इस्लामी संगठन पर पांच वर्ष के लिए प्रतिबंध लगाय दिया। उनके तमाम ठिकानों पर छापेमारी भी की जा रही है और संदिग्धों को गिरफ्तार भी किया जा रहा है। इसके अलावे अलगाववादियों की कमर तोड़ने के लिए सरकार ने इसकी संपत्ति पर भी हल्ला बोल दिया है। सरकार तमाम अवैध और बेनामी संपत्तियों की पहचान कर जब्त कर रही है। सरकार ने अबतक तकरीबन 52 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर ली है। इसके अलावे इस संगठन से जुड़े 70 अलग-अलग बैंक खातों को सीज कर दिया गया है। ऐसा बताया जा रहा है कि सरकार ने जमात-ए-इस्लामी से जुड़े ऐसे 100 ठिकानों की पहचान की है, जिनपर कार्रवाई की जा रही है।

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पाकिस्तान से मिलता है अनुदान?

बता दें कि जमात-ए-इस्लामी ने सरकार की कार्रवाई के बाद कहा है कि वह एक समाजिक संगठन है। जमात-ए-इस्लामी 400 से अधिक स्कूल चलाता है जबकि तकरीबन 350 मस्जिद और कई हजार मदरसे भी खोल रखे हैं। बताया जा रहा है कि यह संगठन इन सभी के जरिए चंदा उगाही करने का काम करता है। सबसे बड़ी बात कि पाकिस्तान से भी चंदा लेता है। इसका खुलासा पाकिस्तान की एक रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि पाक सरकार से जमात-ए-इस्लामी ने शिक्षा और समाजसेवा के नाम पर अनुदान लिए हैं। चंदा देने में हुर्रियत नेताओं समेत कई विदेशी संगठन भी शामिल हैं। ये बात सामने आई है कि यदि आलीशान भवनों, बैंक खातों और अवैध संपत्तियों का आंकलन किया जाए तो जमात-ए-इस्लामी तकरीबन 4500 करोड़ रुपए का मालिकाना हक रखता है। फिलहाल इस बारे में सरकार ने कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है और न हीं सीज किए गए बैंक खातों की कोई जानकारी सार्वजनिक किया है।

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कई बार लग चुका है बैन

बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब जमात-ए-इस्लामी पर बैन लगाया गया है। जमात-ए-इस्लामी पर इससे पहले दो बार और बैन लग चुका है। पहली बार 1975 में इस संगठन पर तीन वर्ष का बैन लगाया गया था। आरोप था कि जमात-ए-इस्लामी राजनीति में आकर कटरपंथ को फैलाना चाहते हैं। वहीं दूसरी बार 1990 में इस पर दो वर्ष का बैन लगाया गया था। दूसरी बार आरोप यह लगा था कि कश्मीर में कटरपंथ को फैलाया जा रहा है। वहीं अब 2019 में सरकार ने फिर से पांच बर्ष के लिए बैन कर दिया है। इस बार आरोप है कि कश्मीर को अस्थिर करने और अवैध गतिविधियों में लिप्त है। बता दें कि जमात-ए-इस्लामी को बैन करने और उनके संपत्तियों को जब्त करने पार राजनीति भी शुरू हो गई है। महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि सरकार अपने निजी हितों के लिए यह सब कर रही है, जबकि यह एक समाजिक संगठन है।

 

 

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