चंद्रयान-2 ने किया एक और कमाल, चंद्रमा के बाहरी वायुमंडल में आर्गन-40 का लगाया पता
चंद्रयान-2 ऑर्बिटर लगातारर जुटा रहा है चंद्रमा की महत्वपूर्ण जानकारी।
इस बार चंद्रमा के बाहरी वायुमंडल की संरचना को बारीकी से खंगाला।
इसरो ने ट्वीट कर दी चंद्रयान-2 ऑर्बिटर की इस नई उपलब्धि की सूचना।
चंद्रमा के बाहरी वायुमंडल में आर्गन-40 जाने की प्रक्रिया
नई दिल्ली। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के चंद्रयान-2 के विक्रम ऑर्बिटर से संपर्क ना होने की परेशानी भले ही ना दूर हुई हो, लेकिन इसका ऑर्बिटर एक के बाद एक कमाल दिखाए जा रहा है। अब चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने एक और कमाल दिखाया है और चंद्रमा के बाहरी वातावरण में आर्गन-40 का पता लगा लिया है। बृहस्पतिवार रात को इसरो ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
खगोल विज्ञानी चंद्रमा को चारों ओर से घेरे गैसों के आवरण को ‘लूनर एक्सोस्फीयर’ यानी चंद्रमा का बाहरी वातावरण कहते हैं। इसकी वजह यह है क्योंकि यह यह वातावरण इतना हल्का होता है कि गैसों के परमाणु एक-दूसरे से बहुत कम टकराते हैं।
#Breaking: इसरो का बड़ा खुलासा, यह थी चंद्रयान से संपर्क टूटने की असली वजह जहां पृथ्वी के वायुमंडल में मध्य समुद्र तल के पास एक घन सेंटीमीटर में परमाणुओं की मात्रा 10 की घात 19 (यानी 10 के आगे 19 बार शून्य) होती है, चंद्रमा के बाहरी वायुमंडल में यह एक घनमीटर में 10 की घात 4 से 6 तक होते हैं यानी 10,000 से लेकर 10,00,000 तक।
चंद्रमा के इस बाहरी वायुमंडल को बनाने में आर्गन-40 (Ar) की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह नोबल गैस (जो किसी के साथ क्रिया नहीं करतीं) का एक आइसोटोप्स (समस्थानिक) है। यह (आर्गन-40) पोटेशियम-40 के रेडियोधर्मी विघटन से उत्पन्न होती है।
चंद्रयान-2: ऑर्बिटर ने किया एक और कमाल, हर सैटेलाइट को पीछे कर हासिल की सफलता इसकी हाफ लाइफ ~1,20,00,00,000 वर्ष है। रेडियोधर्मी पोटेशियम-40 न्यूक्लाइड चंद्रमा की सतह के काफी नीचे मौजूद होता है। यह विघटित होकर आर्गन-40 बन जाता है। इसके बाद यह चंद्रमा की अंदरूनी सतह में मौजूद कणों के बीच रास्ता बनाते हुए बाहर निकलकर बाहरी वायुमंडल तक पहुंचती है।
बड़ी खबरः पहली बार चंद्रमा की सतह पर लैंडर ने कर दिया ऐसा कमाल कि दुनियाभर में छा गया देश इस अध्ययन के लिए चंद्रयान-2 ऑर्बिटर पर चंद्र एटमॉशफीयरिंग कंपोजिशन एक्सप्लोरर-2 (CHACE-2) पेलोड मौजूद है। एक न्यूट्रल मास स्पेक्ट्रोमीटर आधारित पेलोड है, जो 1-300 amu (परमाणु द्रव्यमान इकाई) की सीमा में चंद्रमा के उदासीन बाहरी वायुमंडल के घटकों (वायुमंडल बनाने वाले तत्वों) का पता लगा सकता है।
आर्गन-40 चंद्रमा की सतह पर तापमान में बदलाव और दबाव पड़ने पर संघनित होने वाली गैस है। यह चंद्रमा पर होने वाली लंबी रात (लूनर नाइट) के दौरान संघनित होती है। जबकि चंद्रमा पर भोर होने के बाद आर्गन-40 यहां से निकलकर चंद्रमा के बाहरी वायुमंडल में जाने लगती है।