अपने बयान में उन्होंने गलवान पर जोर नहीं दिया। इससे साफ है कि फिलहाल चीन गलवान पर जोर नहीं देना चाहता। उन्होंने कहा कि भारत और चीन (India and China) आपस में साझेदार ( Partner ) हैं न कि एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्ववी (Rival ) । हमें एक बेहतर पार्टनर होने की जरूरत है।
India China Standoff : पैंगोंग फिंगर-4 से पीछे हटीं दोनों देश की सेना, भारत का पीछे हटना चौंकाने वाली बात सन विडोंग ने आगे कहा कि दोनों देशों को सीमा विवाद ( Border Dispute ) का हल बातचीत के जरिए निकालना चाहिए। भारत-चीन के बीच सीमा विवाद बहुत पुराना है। दोनों के बीच यह एक संवेदनशील और जटिल मुद्दा है। हमें समान रूप से बातचीत और शांतिपूर्ण रवैये के जरिए उचित और तार्किक समाधान खोजने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली में चीन के राजदूत सन विडोंग ने कहा है कि भारत और चीन को आपसी सहयोग के ऐसे कदम उठाने चाहिए जिनसे दोनों का फायदा हो न कि ऐसे काम करें जिनसे दोनों को नुकसान भुगतना पड़े। विडोंग ने एक बयान जारी कर भारत-चीन के बीच सीमा विवाद को शांतिपूर्ण ( Peaceful ) बातचीत के जरिए ऐसा समाधान ढूंढना चाहिए जो दोनों पक्षों को स्वीकार हो।
कोरोना पर काबू पाने के लिए 14 दिनों के लिए लगे लॉकडाउन : डॉ. रणदीप गुलेरिया विडोंग ने दिए 3 सुझाव विडोंग ( Sun Widong ) ने अपने बयान के जरिए भारत-चीन के बीच दोस्ताना संबंधों के लिए तीन सुझाव दिए। पहला भारत और चीन को पार्टनर होना चाहिए न कि प्रतिस्पर्धी। दूसरा भारत और चीन को शांति की चाह रखनी चाहिए न कि संघर्ष की और तीसरा भारत और चीन को पारस्परिक हित के कदम उठाने चाहिए न कि दोनों को नुकसान पहुंचाने वाले।
गलवान हिंसक झड़प सन विडोंग ने अपने बयान की शुरुआत पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी ( Galwan Valley ) में 15 जून को भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प के वाकये से की। उन्होंने कहा कि वह ऐसी परिस्थिति थी जिसे न भारत देखना चाहेगा न ही चीन। उन्होंने कहा कि कमांडर लेवल की बातचीत में हुए समझौते के आधार पर अब हमारी सेनाएं पीछे हट चुकी हैं।
बढ़ते अविश्वास से डर गया चीन! चीनी राजदूत ने कहा कि गलवान में भारतीय सैनिकों पर चीनी सैनिकों के धोखे से किए गए वार से भारत में चीन के प्रति अविश्वास बढ़ा है। ऐसा लगता है कि विडोंग ने चीन को इससे होने वाले नुकसान की आशंका में अपनी तरफ से सफाई पेश करना जरूरी समझा।
उन्होंने कहा कि गलवान वैली में हाल की घटनाओं के बाद भारतीयों का एक तबका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (
pm modi ) और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ( President Xi Jinping ) के बीच बने आम राय के प्रति संदेह जताते हुए आपसी संबंधों को लेकर गलत धारणा बनाने लगा है। इससे द्विपक्षीय संबंधों को आघात लगा है और यह गलत मोड़ ले सकता है।