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झूठे आंकड़े : दावा 100 फीसदी, हकीकत 50 फीसदी से भी कम घरों में शौचालय

हाल ही जारी नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे रिपोर्ट में आधे से अधिक घरों में शौचालय नहीं मिला। गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में 37 फीसदी घरों में शौचालय नहीं है। इससे पहले 2018 में नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट में भी हकीकत से कई गुना अधिक आंकड़ों की कहानी सामने आ चुकी है।

जयपुरJan 17, 2021 / 11:24 pm

Ramesh Singh

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नई दिल्ली. हकीकत की जमीन पर सरकारी दावों की पोल खुल गई। स्वच्छता को लेकर मोदी सरकार के दावे की कुछ इस तरह पोल खुली है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार बिहार में शत-प्रतिशत खुले शौचालय से मुक्ति का दावा किया गया है।
स्वच्छ भारत मिशन के दावे
स्वच्छ भारत मिशन के प्रशासनिक आंकड़ों में करीब 100 फीसदी शौचालय का दावा किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य खुले में शौच को खत्म करना है।
1- 2014 में मोदी की पहली बड़ी योजना स्वच्छ भारत मिशन
2- 99 फीसदी गांवों में शौचालय की सुविधा का 2020 में दावा
3- 100 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में शौचालय बनाने का लक्ष्य पूरा
4- 53 फीसदी घरों में शौचालय नहीं थे 2011 की जनगणना में

नेशनल सैंपल सर्वे में खुली पोल
– 30 फीसदी ग्रामीण घरों में शौचालय नहीं, नेशनल सैंपल सर्वे की 2018 रिपोर्ट के अनुसार
– 30 फीसदी के करीब घरों में शौचालय नहीं होने की बात एनएफएचएस 5 की रिपोर्ट में
– 50 फीसदी से अधिक लोग बिहार में खुले शौच में जाते हैं, एनएफएचएस 5 की रिपोर्ट के अनुसार

2019-2000 के नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे 5 (एनएफएचएस) व इससे पहले जुलाई-दिसंबर 2018 में नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) व 31 दिसंबर 2020 तक स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) का घरों में शौचालय के आंकड़े की हकीकत बयां कर रहे हैं।

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