नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस ( coronavirus ) का असर लगातार बढ़ रहा है। अब तक देश में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 95 लाख के करीब पहुंच चुकी है। यही वजह है कि सरकारें लगातार इससे निपटने के लिए कड़े कदम उठा रही हैं। हालांकि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में अलग-अलग लक्षणों ने चिंताएं भी बढ़ा दी हैं।
ठीक हो रहे मरीजों में अजीब तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं। सूंघने और स्वाद की समस्या के बाद अब दिमागी समस्याएं भी बढ़ने लगी हैं। लोग पासवर्ड से लेकर पकड़ों तक भूलने लगे हैं। डॉक्टरों की मानें तो ये मामले ब्रेन फॉग ( Brain Fog ) के हैं।
केस-1 दिल्ली निवासी एक बुजुर्ग हाल में कोरोना से उबरे हैं। लेकिन 20 दिन के इलाज के बाद उन्हें अजीब समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अचानक उनकी आंखें शून्य में देखती हैं। चाय-पानी देने पर चौंक पड़ते हैं। अक्सर नहाकर कपड़े पहनना भी भूल जाते हैं।
केस-2 दिल्ली के ही एक अन्य शख्स जो बैंक में काम करते हैं वे भी कोरोना से ठीक होने के बाद अजीब समस्या से परेशान हैं। वे कम्प्यूटर के पासवर्ड भूल रहे हैं। एटीएम पिन याद करने में दिक्कत हो रही है।
यूपी में चार मरीज भूलने की इस समस्या को डॉक्टर ब्रेन फॉग बता रहे हैं। खास बात यह है कि दिल्ली के अलावा यूपी में भी इस तरह के मरीज सामने आए हैं। कानपुर में ही चार ब्रेन फॉग के मरीज देखने को मिले हैं।
ये हो रहा नुकसान न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ प्रो. आलोक वर्मा की मानें तो कोरोना वायरस नसों में खून के थक्के बना देता है। ऐसे इससे ग्रसित मरीजों को भूलने संबंधी परेशानी होती है। ये भी है बड़ी वजह चिकित्सकों की मानें तो लम्बे समय तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले मरीजों की दिमाग की नसें भी कमजोर होने लगती हैं। इससे न्यूरो समस्या पैदा होती है।
बड़ी उम्र के लोगों में ज्यादा लक्षण डॉक्टरों ने बताया कि ब्रेन फॉग के शिकार ज्यादातर बड़ी उम्र के लोग हो रहे हैं। बुजुर्गों में कुछ मरीज एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम जैसे लक्षणों वाले भी मिल रहे हैं। जीबी सिंड्रोम से भी पीड़ित दो मरीज मिले हैं।
ये है ‘ब्रेन फॉग’ ब्रेन फॉग एक मानसिक बीमारी है। इस बीमारी में व्यक्ति की यादाश्त कमजोर होने लगती है। रोगी के सोचन, याद रखने और पहचानने की क्षमता पर सीधा असर पड़ता है। इस बीमारी में कम्प्यूटर के हैंग होने जैसी स्थिति बन जाती है।
डॉक्टरों के मुताबिक ज्यादा दिन तक वायरल फीवर के चलते दिमाग में ब्लड क्लॉटिंग होने लगती है। ऐसे में दिमाग पर इसका असर पड़ता है। वहीं ऑक्सीन पर ज्यादा रहने की वहज से भी ब्रेन फॉग की समस्या बन जाती है। इसमें दिमाग पर एक तरह की धुंध सी बन जाती है, जिसके चलते मरीज की यादाश्त पर असर पड़ता है।
इतने दिन में इलाज संभव ब्रेन फॉग के लक्षण आने पर समय से इलाज किया जाना बहुत जरूरी है। चिकित्सकों के मुताबिक एक से दो महीने में ऐसी समस्या से परेशान मरीजों का इलाज संभव है। लक्षण दिखाई देने पर तुरंत न्यूरोफिजीशियन को दिखाना चाहिए।
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