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अब तक चार हजार से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी पूजा

जज्बा: भाई के अंतिम संस्कार में अकेली पड़ी तो ले लिया प्रण

Feb 04, 2024 / 11:30 pm

pushpesh

अब तक चार हजार से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी पूजा

अब तक चार हजार से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी पूजा

नई दिल्ली. परिवार की त्रासदी ने 26 वर्षीय पूजा के जीवन की दिशा ही बदल दी। असहाय लोगों की सेवा के लिए लोगों को अक्सर मदद का हाथ बढ़ाते देखा है, लेकिन मौत के बाद लावारिस शवों को सम्मान से अंतिम विदाई देने वाले कम होते हैं। दिल्ली की पूजा शर्मा भी इनमें से एक हैं। पूजा के समर्पण का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2022 से अब तक वह चार हजार से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। खास बात ये है कि वह मृतक की धार्मिक पहचान के अनुसार ही संस्कार पूरा करती हैं। एमए पास पूजा ने इस काम को पूरा करने के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी। इतना ही नहीं शवों को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था खुद ही करती हैं। कई बार खुद भी किराए से एंबुलेंस करती हैं।
दरअसल, पूजा की मां की बीमारी से मौत के बाद एक झगड़े में उसके भाई की मौत हो गई। पिता कोमा में थे। ऐसे में भाई के अंतिम संस्कार में वह अकेली पड़ गई। हिम्मत जुटाकर खुद ने ही भाई का अंतिम संस्कार किया। तभी विचार आया कि जिनके परिवार में कोई नहीं है, उन्हें सम्माजनक विदाई देनी चाहिए। लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के इस काम के अलावा पूजा ने ‘ब्राइट द सोल फाउंडेशन’ नाम के एनजीओ को शुरू किया है। इस एनजीओ के जरिए वो लोगों को प्रेरित और सशक्त बनाना चाहती हैं।
23 साल में 127 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके थानवी
मेड़ता सिटी. नागौर जिले के मेड़तासिटी निवासी एडवोकेट अनिल थानवी बीते 23 साल में 127 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। पालिकाध्यक्ष रहे थानवी वर्ष 2001 से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। शव मुस्लिम का हो तो कब्र खोद कर दफनाते हैं। हिंदू शव का अंअब तक चार हजार से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी पूजा
जज्बा : भाई के अंतिम संस्कार में अकेली पड़ी तो ले लिया प्रण
नई दिल्ली. परिवार की त्रासदी ने 26 वर्षीय पूजा के जीवन की दिशा ही बदल दी। असहाय लोगों की सेवा के लिए लोगों को अक्सर मदद का हाथ बढ़ाते देखा है, लेकिन मौत के बाद लावारिस शवों को सम्मान से अंतिम विदाई देने वाले कम होते हैं। दिल्ली की पूजा शर्मा भी इनमें से एक हैं। पूजा के समर्पण का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2022 से अब तक वह चार हजार से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। खास बात ये है कि वह मृतक की धार्मिक पहचान के अनुसार ही संस्कार पूरा करती हैं। एमए पास पूजा ने इस काम को पूरा करने के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी। इतना ही नहीं शवों को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था खुद ही करती हैं। कई बार किराए से एंबुलेंस करती हैं। इस काम में खर्च के लिए उनकी दादी अपनी पेंशन से पैसा देती हैं और कुछ मदद समाजसेवी संगठन कर देते हैं।
दरअसल, पूजा की मां की बीमारी से मौत के बाद एक झगड़े में उसके भाई की मौत हो गई। सदमे से पिता कोमा में चले गए, ऐसे में भाई के अंतिम संस्कार में वह अकेली पड़ गई। हिम्मत जुटाकर खुद ने ही भाई का अंतिम संस्कार किया। तभी विचार आया कि जिनके परिवार में कोई नहीं है, उन्हें सम्माजनक विदाई देनी चाहिए।
23 साल में 127 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके थानवी
मेड़ता सिटी. नागौर जिले के मेड़तासिटी निवासी एडवोकेट अनिल थानवी बीते 23 साल में 127 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। पालिकाध्यक्ष रहे थानवी वर्ष 2001 से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। शव मुस्लिम का हो तो कब्र खोद कर दफनाते हैं। हिंदू शव का अंतिम संस्कार करने के बाद हरिद्वार जाकर अस्थियां गंगा में प्रवाहित करते हैं। थानवी ने अपनी मां के नाम से शोभा देवी मेमोरियल संस्थान बनाया है। उनकी मां ने एक बार कहा था कि हमें लावारिस शवों का अंतिम संस्कार सही तरीके से करना चाहिए, ताकि उनकी आत्मा को मोक्ष मिल सके। ंतिम संस्कार करने के बाद हरिद्वार जाकर अस्थियां गंगा में प्रवाहित करते हैं। थानवी ने अपनी मां के नाम से शोभा देवी मेमोरियल संस्थान बनाया है। उनकी मां ने एक बार कहा था कि हमें लावारिस शवों का अंतिम संस्कार सही तरीके से करना चाहिए, ताकि उनकी आत्मा को मोक्ष मिल सके।

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