लैटरल एंट्री का विरोध मोदी सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था में एंट्री के लिए लैटरल एंट्री की योजना चलाई है जिसका विपक्ष खूब विरोध कर रहा है। लेकिन अब दलित समूहों ने भी अपना असंतोष जाहिर करते हुए भारत बंद की धमकी दे डाली।
एससी-एसटी मामला: प्रमोशन में आरक्षण रहेगा जारी, नोटिफिकेशन जल्द दलित कार्यकर्ता अशोक भारती का बयान लैटरल एंट्री का विरोध करते हुए दलित कार्यकर्ता अशोक भारती ने कहा कि लैटरल एंट्री से दलितों को किनारे करने की योजना बन रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस योजना से समुदाय को बढ़ावा देने के बजाए, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए अनिवार्य आरक्षण मानदंड को नजरअंदाज किया है।
लेटरल एंट्री पर एकमत नहीं चिकित्सक समुदाय ने दी भारत बंद की धमकी और..
जानकारी है कि दलित समुदाय योजना के विरोध में अगस्त के महीने पूरे देश में आंदोलन करने की योजना बना रही है। साथ ही समुदाय ने संसद के मानसून सत्र के दौरान भारत बंद का ऐलान भी किया है। समुदाय ने सरकार को ये भी धमकी दी है कि अगर उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगामी लोकसभा चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
क्या है लैटरल एंट्री दरअसल, मोदी सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था में एंट्री को लेकर अब तक का सबसे बड़ा बदलाव किया है। जिसके तहत अब नौकरशाही में प्रवेश के लिए संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी की परीक्षा देनी जरूरी नहीं होगी। इस योजना को केंद्र सरकार ने लैटरल एंट्री का नाम दिया है। जिससे अब प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले सीनियर अधिकारी भी नौकशाही का हिस्सा बन सकते हैं।