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Deepak Vasant Sathe के चचेरे भाई का emotional post, कैसे विश्वास करूं, भाई से ज्यादा दोस्त अब इस दुनिया में नहीं…

Nilesh Sathe का यह Facebook Post एक ऐसा Emotional post है जिसे कोई भी पढ़ेगा तो खुद को फूट फूटकर रोने से नहीं रोक पाएगा। चाहे वो कितना भी दिल थाम लेने की कोशिश करे।
नीलेश कहते हैं – एक सप्ताह पहले मैंने उनसे भारत Vande Bharat Mission के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा था कि देश के लोगों को अरब देशों से वापस लाने पर मुझे गर्व होता है।

नई दिल्लीAug 08, 2020 / 06:30 pm

Dhirendra

nilesh sathe

नीलेश साठे ने विंग कमांडर व चचेरे भाई वसंत साठे के नाम जारी किया इमोशनल मैसेज।

नई दिल्ली। केरल के कोझीकोड हवाईअड्डे ( Kozhikode airport ) पर शुक्रवार को विमान हादसे ( Plan crash ) के बाद आईएएफ ( IAF ) का टॉप फाइटर और विंग कमांडर दीपक वसंत साठे ( Deepak Vasant Sathe ) के चचेरे भाई नीलेश साठे ( Nilesh Sathe )ने आज रूला देने वाला एक इमोशनल मैसेज ( Emotional message ) पोस्ट किया है। उसके साथ ही एक कविता भी अटैच किया है, जो पूरा पढ़ने से पहले ही हर किसी को रुला सकता है। कहने का मतलब है कि अब इस हादसे से जुड़ी कई कहानी ऐसी हो सकती हैं जो हम सबके के लिए एक सीरियस मैसेज देने वाला साबित हो सकता है।
फिलहाल हम बात करते हैं दीपक वसंत साठे के इमोशनल पोस्ट की। नीलेश साठे का यह फेसबुक पोस्ट एक ऐसा इमोशनल मैसेज है जिसे कोई भी पढ़ेगा तो खुद को फूट फूटकर रोने से नहीं रोक पाएगा। चाहे वो कितना भी दिल थाम लेने की कोशिश करे।
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विंग कमांडर दीपक साठे के चचेरे भाई नीलेश साठे ने इस घटना को लेकर अपने इमोशनल पोस्ट में लिखा है कि शुक्रवार को जो विमान कोझीकोड में दुर्घटनाग्रस्त हुआ उस विमान के वो कप्तान थे। भारतीय वायु सेना ( IAF ) में अपने 22 साल के करियर के दौरान, उन्होंने सोवियत मूल के मिग -21 को उड़ाना सीखा।
आज, मेरे लिए यह विश्वास करना कठिन है कि मेरे चचेरे भाई से ज्यादा मेरे दोस्त दीपक साठे अब इस दुनिया में नहीं हैं। वह ‘वंदे भारत मिशन’ में दुबई से यात्रियों को ले जाने वाले एयर इंडिया एक्सप्रेस के पायलट थे, जिसने कल रात कोझिकोड अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रनवे लैंडिंग की थी। लेकिन यह विमान हादसे का शिकार हो गया। लेकिन इस हादसे में जान गंवाने वाले पायलट वो काम कर गया था जिससे विमान में 180 सह-यात्रियों की जान बच सकी।
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आगे नीलेश अपने पोस्ट में लिखते हैं इस हादसे से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। 36 साल की उड़ान के अनुभव के साथ दीपक एक अनुभवी हवाई परिचालक था। एनडीए का एक पासआउट और 58वें कोर्स में टॉपर करने के बाद ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ का पुरस्कार पाने वाले दीपक ने 2005 में एयर इंडिया के साथ कमर्शियल पायलट के रूप में जुड़ने से पहले 21 साल तक भारतीय वायु सेना की सेवा की।
दीपक ने मुझे सिर्फ एक हफ्ते पहले बुलाया था। उस समय मुझे जरा सा भी इस बात का अहसास नहीं हुआ कि यह मुलाकात अंतिम मुलाकात है। वह, हमेशा की तरह वह जवां दिख रहा था। जब मैंने उनसे भारत वंदे भारत मिशन के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा था कि देश के लोगों को अरब देशों से वापस लाने पर मुझे गर्व होता है।
फिर मैंने उनसे पूछा, “दीपक, क्या आप तो खाली विमान लेकर चलते हैं क्योंकि वे देश यात्रियों के प्रवेश की अनुमति नहीं दे रहे हैं?” इस पर उन्होंने जवाब दिया था, “ओह, नहीं। हम इन देशों में फल, सब्जियां, दवाएं आदि ले जाते हैं। कभी भी इन देशों के लिए विमान खाली नहीं जाते हैं। चचेरे भाई से ज्यादा अपने दोस्त वसंत साठे से यह मेरी आखिरी बातचीत साबित हुई।
नीलेश अपने पोस्ट में आगे बताते हैं, 90 की दशक की शुरुआत में जब वे एयरफोर्स में थे, तब वे एक विमान दुर्घटना में बच गए थे। लेकिन उनकी सिर में कई गंभीर चोटों आई थीं। उन्हें 6 महीने के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस दुर्घटना के बाद किसी ने नहीं सोचा था कि वह फिर से उड़ान भरेंगे। लेकिन उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति और उड़ान के प्रति उनके प्यार ने उन्हें फिर से यह मौका दिया। ऐसा होना उनके जीवन में एक चमत्कार था।
नीलेश कहते हैं, मेरा दोस्त अपनी पत्नी और दो बेटों को इस दुनिया में छोड़ गए हैं। दोनों आईआईटी मुंबई से पासआउट हैं। दीपक कर्नल वसंत साठे का बेटा है जो अपनी पत्नी के साथ नागपुर में रहते हैं। उनके भाई, कैप्टन विकास भी एक आर्मीमैन थे, जिन्होंने जम्मू क्षेत्र में सेवा करते हुए देश के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।
चचेरे भाई नीलेश कहते हैं, वास्तव में एक सैनिक अपने देशवासियों की जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा देता है या दे देता है। आज अपने दोस्त के इस दुनिया से चले जाने पर मुझे एक सैनिक की कविता की याद आ रही है। उस कविता का हिंदी में भाव कुछ इस तरह से है।
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अगर मैं एक युद्ध क्षेत्र में मर जाउं,

मुझे ताबूत में पैकअप कर मेरे घर भेज देना।
मेरे सीने पर मेडल रखना,

मेरी मां को बताना मैंने सबसे अच्छा काम किया।

मेरे पिताजी से कहना कि वे झुकें नहीं,

उन्हें मैं अब और परेशान नहीं करूंगा।

मेरे भाई को मन लगाकर पढ़ने के लिए कहना,
मेरी बाइक की चाबी हमेशा उसी के पास होगी।

मेरी बहन से कहना कि वो परेशान न हो,

इस सूर्यास्त के बाद उसका भाई नहीं उठेगा।

और रोना नहीं, मेरे प्यार को बताओ
“क्योंकि मैं एक सैनिक हूं जो बॉर्न टू डाई …।”

… नीलेश साठे

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