दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी
रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली दुनियामें सबसे प्रदूषित राजधानी है। यहां पीएम 2.5 से सबसे अधिक मौतें हुई हैं। इसके बाद जापान की राजधानी टोक्यो है, जहां 40 हजार मौतें हुई हैं। तीसरे स्थान पर शंघाई (चीन), चौथे स्थान पर साओ पाउलो (ब्राजील) और पांचवें स्थान पर मेक्सिको सिटी है।
क्या कहती है रिपोर्ट
– 40,000 मौतें टोक्यो में वायु प्रदूषण से
– 1800 मौतें प्रति दस लाख पर दिल्ली में
– 42 लाख मौतें पूरी दुनिया में 2015 में हुईं
देश के प्रमुख शहरों में मौतें
– 25000 मुंबई में मौतें
– 12000 बेंगलुरू में मौतें
– 11000 चेन्नई में मौतें
– 11000 हैदराबाद में मौतें
– 6700 लखनऊ में मौतें
साधारण मास्क कारगर नहीं
पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला सूक्ष्म कण है। इसकी चौड़ाई 2.5 माइक्रोमीटर से कम होती है। एक बाल की चौड़ाई पर 40 कण आ सकते हैं। इन्हें आंखों से नहीं देखा जा सकता है। इसका स्तर बढऩे पर धुंध बढ़ती है, दृश्यता कम हो जाती है। इसके लिए कोयला, डीजल-पेट्रोल व धूल, सॉलिड वेस्ट जलाने व उद्योगों का धुंआ सबसे अधिक जिम्मेदार है। इसे रोकने के लिए साधारण मास्क नहीं, एन 95 मास्क लगाएं।
मरीज व मौतें बढ़ेगी
अस्थमा, हार्ट अटैक व कैंसर का खतरा बढ़ता है। सांस, हार्ट, निमोनिया व आंख के रोगी बहुत जरूरी हो तो ही घर से निकलें। इनके मरीजों व मौतों की संख्या और बढ़ेगी। रिपोर्ट में इनसे होने वाली मौतों का आंकड़ा शामिल नहीं है।
…तो मौतें होतीं दोगुनी
वैज्ञानिकों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण उद्योग-धंधे, वाहन आदि करीब 4-5 माह तक बंद थे। इससे हवा की गुणवत्ता सुधरने के कारण प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों में बड़ी कमी आने से मौतें कम हुई है। यदि सामान्य स्थिति होती तो मौतें इससे दोगुनी हो सकती थीं।