पुलवामा में 35 युवा बने आतंकी
अहीर ने एक प्रश्न के जवाब में लोकसभा को सूचित किया कि जम्मू एवं कश्मीर के 87 युवा 20 जुलाई तक आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए हैं। यह 87 युवा दक्षिण कश्मीर के चार जिलों अनंतनाग (14), पुलवामा (35), शोपियां (23) और कुलगाम (15) से ताल्लुक रखते हैं। मंत्री ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में 20 जून को राज्यपाल शासन लागू होने के बाद 12 युवा लापता हो गए और बाद में आतंकी बन गए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा हालात की लगातार समीक्षा कर रही है। आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिसमें मानव खुफिया को बेहतर बनाना और तकनीकी खुफिया का प्रयोग शामिल हैं। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि सरकार युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए रोजगार अवसर मुहैया कराने समेत अन्य नीतियों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है।
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तीन साल में शहीद हुए 69 जवान
इससे पहले 25 जुलाई को मोदी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने लोकसभा में एक अहम जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में साल 2015 के बाद से अभी तक 581 आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा चुका है। सुभाष भामरे ने ये आंकड़ा 2015 से लेकर जुलाई 2018 तक का बताया, लेकिन दुख की बात ये भी है कि इन तीन सालों में एलओसी पर सीजफायर के उल्लंघन के दौरान पाकिस्तानी सेना से लड़ते हुए हमारे 69 जवानों की शहादत गई है। रक्षा राज्य मंत्री ने ये जानकारी भी लोकसभा में दी।
मार गिराए गए 500 से ज्यादा आतंकी
लोकसभा के अंदर रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने एक लिखित जवाब में कहा कि 2015 में सुरक्षाकर्मियों ने 108 आतंकवादियों को मार गिराया था। इसी तरह 2016 में 150 आतंकी और 2017 में 113 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया है। वहीं इस जुलाई तक सेना ने 110 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया है। उन्होंने कहा कि 2015 के बाद से सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में सेना के 44 और बीएसएफ के 25 जवानों की शहादत गई है।