जरूर पढ़ें: 2015 में दी थी कोरोना महामारी की चेतावनी और अब बिल गेट्स ने की दो भविष्यवाणी दरअसल चिकित्सकों द्वारा Mucormycosis से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए दी जा रही एंफोटेरिसिन बी की कुछ राज्यों में मांग में अचानक वृद्धि देखने को मिली हैा। कोरोना वायरस संक्रमित होने के बाद लोगों में देखने को मिल रही इस बीमारी की जटिलता को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है।
निर्माताओं से इस दवा के उत्पादन में तेजी लाने के निर्देश देते हुए केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि इस दवा के अतिरिक्त आयात और घरेलू स्तर पर इसके उत्पादन में वृद्धि के साथ आपूर्ति की स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा निर्माताओं/आयातकों के साथ स्टॉक की स्थिति और एम्फोटेरिसिन बी के मांग पैटर्न की समीक्षा करने के बाद फार्मा विभाग ने 11 मई 2021 को इस दवा को राज्यों/संघ शासित्र प्रदेशों के बीच अपेक्षित आपूर्ति के आधार पर आवंटित किया था, जो कि 10 मई से 31 मई, 2021 तक उपलब्ध होगी।
Must Read: कोरोना से ठीक होने वाले लोगों को अपना शिकार बना रहा यह खतरनाक वायरस, डॉक्टर्स हुए हैरान इसके साथ यह भी बताया कि राज्यों से सरकारी और निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल एजेंसियों के बीच दवा की आपूर्ति के समान वितरण के लिए एक मैकेनिज्म तैयार का अनुरोध किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि इस आवंटन से दवा प्राप्त करने के लिए निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए ‘प्वाइंट ऑफ कॉन्टैक्ट’ के लिए राज्यों में प्रचार करने का भी अनुरोध किया गया है।
इसमें राज्यों से उस स्टॉक का विवेकपूर्ण इस्तेमाल करने का भी अनुरोध किया गया है जिसकी आपूर्ति पहले से ही की गई है और जो स्टॉक आवंटित किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि आपूर्ति की व्यवस्था की निगरानी राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल्स मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा की जाएगी।
BIG NEWS: कोरोना वायरस की तीसरी लहर रोकी नहीं जा सकती, केंद्र सरकार ने कहा तैयार रहें मंत्रालय ने यह भी कहा कि देश महामारी की गंभीर लहर से गुजर रहा है और इसने देश के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित किया है और भारत सरकार एक न्यायसंगत और पारदर्शी तरीके से आवश्यक कोविड दवाओं की आपूर्ति बढ़ाने और उन्हें राज्य सरकारों और संघ शासित प्रदेशों को उपलब्ध कराने के लिए लगातार काम कर रही है।
गौरतलब है कि कोरोना से उबरने के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकोर्माइकोसिस नामक बीमारी लोगों को अपना निशाना बना रही है। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल पहले से ही उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ब्लैक फंगस होती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना मरीजों में इस संक्रमण के होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि यह हवा में मौजूद है। यह एक सर्वव्यापी फंगस है जो कि पौधों, जानवरों और हवा में मौजूद रहता है। हालांकि यह कोरोना वायरस से ठीक होने वाले मरीजों पर हमला कर रहा है क्योंकि उन्हें स्टेरॉयड दिए गए हैं और उनमें पहले से कई बीमारियां हैं, जो कि इसे और भी बदतर बना देती हैं।
Must Read: 18+ हैं और नहीं मिल रहे COVID-19 Vaccine के स्लॉट, इन वेबसाइटों से मिलेगी मदद राजधानी दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉ. मनीष मुंजाल ने बताया, “यह एक वायरस है और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को निशाना बनाता है। यह फंगस जिस भी स्थान से शरीर में प्रवेश करता है, उस हिस्से को नष्ट कर देता है। कोरोना वायरस के बाद मरीजों को साइटोकिन को कम करने के लिए स्टेरॉयड की एक बड़ी खुराक दी जाती है और यह शरीर में प्रवेश करने के लिए जानलेवा म्यूकोर्माइकोसिस जैसे फंगल इंफेक्शन को मौका देता है।”