आर्सेनिक रूपी जहर पी रहे हैं बंगाल के 44 प्रतिशत लोग पानी में मिला है जहर रिपोर्ट में बताया गया है कि भूमिगत जल की मात्रा दिनोंदिन कम होती जा रही है और जितना पानी भूमि के अंदर बचा है वो भी दूषित है। रिपोर्ट से ये भी खुलासा हुआ है कि दिल्ली के कुछ हिस्सों के भूमिगत जल में आर्सेनिक, नाइट्रेट्स और फ्लोराइड जैसे घातक विषाक्त पदार्थ मौजूद हैं, जिससे पानी जहर बनता जा रहा और ये विषेलै पदार्थ भूमिगत जल की मात्रा भी घटा रहे हैं। बता दें कि रिपोर्ट से हुआ ये खुलासा दिल्लीवालों के लिए खतरे की घंटी है।
अभी हाल ही में लोकसभा की भी एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें बताया गया था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कुछ हिस्सों में आर्सेनिक वाला पानी मिल रहा है, वहीं बाकी हिस्सों के पानी में नाइट्रेट्स और फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने बताया दिल्ली विश्वविद्यालय में जूलाॅजी के प्रोफेसर शंशाक शेखर ने बताया कि यमुना के बाढ़ प्रभावित इलाकों में आर्सेनिकयुक्त पानी की मात्रा ज्यादा है। यहां पर थर्मल पाॅवर प्लांट्स की अधिकता की वजह से पानी में आर्सेनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ रही है। जबकि देश के बाकी हिस्सों में इसकी मात्रा अभी कम है।
शंशाक शेखर ने आगे बताया कि नाइट्रेट्स, फ्लोराइड और आर्सेनिक से कई तरह की भयानक बिमारियां भी फैल रही हैं। जिसमें
ब्लू बेबी नाम की बीमारी सबसे ज्यादा हो रही है।
भूमिगत जल में आर्सेनिक का पता लगाना अब आसान क्या होता है आर्सेनिक बता दें कि बिहार में भी ऐसे ही हालात हुए थे जब वहां के लोगों ने सिंचाई के लिए भूजल का इस्तेमाल किया लेकिन उनकी फसल जल गईं। तब लोगों ने इसे ‘नरक से आने वाला पैशाचिक पानी’ बताया था।
लेकिन इस पानी में जहर आर्सेनिक छिपा है इसका पता बहुत बाद में चल पाया। भूजल के अत्यधिक उपयोग से धरती के भीतर छिपा आर्सेनिक पानी में घुलकर बाहर आने लगा।
भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (जीएसआई) ने अध्ययन से बताया कि जिन चट्टानों में आर्सेनिक होता है वो जल्द ही पानी में घुल जाती हैं। आर्सेनिक के चट्टान पूरी गंगा और ब्रह्मपुत्र की घाटी में भी फैले हैं।