हिंदी से पहले और भाषाओं में थे अखबार
देश के बंगाल राज्य में हिंदी अखबार प्रकाशित होने से पहले दूसरे भाषाओं में अखबार का प्रकाशन होता था, केवल हिंदी अखबार नहीं था। हिंदी अखबार का प्रकाशन भी बंगाल से ही हुआ था, जिसका श्रेय पंडित जुगल किशोर शुक्ल को ही जाता है। कलकत्ता के कोलू टोला मोहल्ले की 27 नंबर आमड़तल्ला गली से उदंत मार्तंड के प्रकाशन की शुरुआत की गई थी।
कुछ तरह से शुरू हुआ हिंदी का पहलाप अखबार
मूलरूप से कानपुर के निवासी पंडित जुगल किशोर शुक्ल संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी और बांग्ला भाषाओं के ज्ञाता थे। वे पहले कानपुर की सदर दीवानी अदालत में प्रोसीडिंग रीडर के रूप में काम करते थे और बाद में वकील भी बने। जिसके बाद उन्होंने ‘उदंत मार्तंडÓ अखबार शुरू करने का प्रयास किया। उन्हें 19 फरवरी, 1826 को गवर्नर जनरल से इसकी अनुमति मिली।
आर्थिक तंगी का करना पड़ सामाना
उदंत मार्तंड एक साप्ताहिक न्यूजपेपर था। जिसके पहले अंक में 500 कॉपी प्रकाशिक हुई थी, लेकिन हिंदी भाषा के जानकार कम होने के कारण पाकठों का रुझान कम ही देखने को मिला। हिंदी पट्टी राज्यों में इसे भेजने में खर्च काफी ज्यादा आ रहा था। जुगल किशोर ने सरकार से बहुत अनुरोध किया कि वे डाक दरों में कुछ रियायत दें लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई।
कुछ ही महीनों में बंद करना पड़ा अखबार
आर्थिक तंगी के कारण इस अखबार की उम्र ज्यादा लंबी नहीं चल सकी। प्रत्येक मंगलवार को पुस्तक के प्रारूप में प्रकाशित होने वाले उदंत मार्तंड के सिर्फ 79 अंक ही प्रकाशित हो सके थे। जिसे आर्थिक परेशानियों के कारण 4 दिसंबर 1827 को बंद कर दिया गया। इतिहासकारों के मुताबिक कंपनी सरकार ने मिशनरियों के पत्र को तो डाक आदि की सुविधा दी थी, लेकिन “उदंत मार्तंड” को यह सुविधा नहीं मिली। इसकी वजह इस अखबार का बेबाक बर्ताव था।