ताजा रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा देखने में आ रहा है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन के इस्तेमाल की वजह से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। हालांकि एक अन्य रिपोर्ट ( Report ) में कहा गया है कि घातक वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के उपयोग की सिफारिश या विरोध करने के लिए पर्याप्त क्लिनिकल डेटा मौजूद नहीं है।
रैपिड टेस्टिंग किट को लेकर मचे हंगामे के बीच चीन ने तोड़ी चुप्पी, जानें भारत को लेकर क्या कहा स्टडी में कहा गया है कि सामान्य इलाज की तुलना में इस दवा की खुराक लेने वाले मरीजों की मौत ज्यादा हो रही है।
अमरीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ( NIH ) और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के शोधकर्ताओं ने पाया है कि कोरोना से संक्रमित जिन मरीजों का इलाज सामान्य तरीकों से किया जा रहा है, उनके मरने की आशंका कम रहती है। वहीं जो मरीजों ने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा का उपयोग किया उनकी मौंते ज्यादा हुईं।
इस दवा से हुई 28 फीसदी मौतें
इस स्टडी में साफ तौर पर कहा गया है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा के उपयोग से करीब 28 फीसदी कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है। जबकि सामान्य प्रोसेस से इलाज करने पर केवल 11 फीसदी मरीजों ने दी दम तोड़ा है।
आपको कि भारत सरकार ने 25 मार्च को हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अमरीका समेत कई पड़ोसी देशों के आग्रह के बाद भारत सरकार ने इसपर लगे प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटा लिया था।
हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन दवा का इस्तेमाल कोविड-19से लड़ने के लिए किया जा सकता है। भारत इस दवा का सबसे बड़ा निर्यातक है। वहीं, कोरोना वायरस के रोगियों के उपचार में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन के उपयोग को बढ़ावा दे रहे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वह इन रिपोर्टों पर गौर करेंगे।
विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने देशवासियों को दिया खास संदेश, जानें क्या कुछ कहा ट्रंप प्रशासन ने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन की 3 करोड़ से ज्यादा खुराक का स्टॉक किया है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा भारत से आयात किया गया है।