ध्वज राष्ट्र की आशाओं का प्रतीक, इसका सम्मान हो
केन्द्रीय गृह मंत्रालय के परामर्श में कहा गया है कि राष्ट्रीय ध्वज देश के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए इसे सम्मान दिया जाना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सार्वभौमिक प्रेम और सम्मान है फिर भी अक्सर लोगों, संगठनों और सरकारी एजेन्सियों में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने से संबंधित कानूनों, परंपराओं और सिद्धांतों के बारे में जागरूकता की कमी है। परामर्श में कहा गया है कि इस संबंध में व्यापक जागरुकता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए और विज्ञापनों के माध्यम से भी इसकी जानकारी दी जानी चाहिए।
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कागज के ही राष्ट्र ध्वज का हो इस्तेमाल
मंत्रालय ने कहा है कि उसे पता चला है कि विभिन्न राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल समारोह में कागज के राष्ट्रीय ध्वज के स्थान पर प्लास्टिक के ध्वज का इस्तेमाल किया जाता है। उसने कहा है कि चूंकि प्लास्टिक से बने ध्वज प्राकृतिक या स्वभाविक तरीके से नहीं गलते और इन्हें दूसरे तरीके से गलाया जाना राष्ट्रीय ध्वज का अपमान होगा इसलिए इनका इस्तेमाल करने से समस्या खड़ी हो सकती है।
सख्ती से पालन हो राष्ट्रीय ध्वज संहिता
स्वतंत्रता दिवस के सभी समारोह में राष्ट्रीय ध्वज संहिता का सख्ती से पालन किया जाने और इनमें कागज से बने ध्वज का इस्तेमाल किया जाने की बात कही गई है। इन ध्वजों को कार्यक्रम के बाद जमीन पर फेंका नहीं जाना चाहिए और इनका निपटान नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए। मंत्रालय ने कहा है कि इस बारे में विज्ञापनों के जरिए लोगों में जागरूकता फैलाई जानी चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित संहिता गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।