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दक्षिण एशिया पर नियंत्रण को लेकर भारत और चीन आमने-सामने, भारत ने बढ़ाई आर्थिक मदद

भारत ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में नेपाल को मिलने वाली सहायता राशि 375 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्तीय वर्ष 2018-19 में 650 करोड़ रुपये कर दिया है।

नई दिल्लीMar 21, 2018 / 07:34 pm

Mazkoor

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नई दिल्ली। दक्षिण ऐशियाई राष्ट्रों में चीन की बढ़ती सक्रियता ने मोदी सरकार को अपने पड़ोसियों से बेहतर संबंधों को और अधिक मजबूत करने पर विवश कर दिया है। इसी के मद्देनजर भारत ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में अपने पड़ोसियों को दी जाने वाली आर्थिक मदद बढ़ा दी है।
हालांकि भारत आर्थिक सहायता के माध्यम से अपने पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंध के लिए लगातार प्रयासरत है, लेकिन चीन इससे अधिक पूंजीवादी दृष्टिकोण अपना रहा है और इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश किया है। चीन अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए लगभग सभी दक्षिण एशियाई देशों में कई परियोजनाएं भी चला रहा है।
बता दें कि चीन के इस विस्तारवादी पूंजीवादी रवैये से निपटने के लिए भारत ने अपने पड़ोसी देशों की आर्थिक सहायता को बढ़ा दी है और अपने विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन में अधिक कुशल होने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

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भारत ने बढ़ाई आर्थिक सहायता
आपको बता दें कि भारत ने नेपाल और भूटान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को बढ़ा दिया है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में नेपाल को मिलने वाली सहायता राशि 375 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्तीय वर्ष 2018-19 में 650 करोड़ रुपये कर दिया है। यह करीब 73 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। वहीं भूटान के पुनसुसंगुचु और मंगदेचु में हाइड्रो इलेक्ट्रीक प्रोजेक्ट के साथ अन्य आधारभूत संरचना के कार्यों के लिए 1813 करोड़ रुपये की सहायता दी जा रही है।
बता दें कि इसके अलावा भारत अपने पड़ोसी देशों बांग्लादेश (वित्तीय वर्ष 2017-18, 65 करोड़ जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19, 175 करोड़), मालदीव (वित्तीय वर्ष 2017-18, 125 करोड़ जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19, 125 करोड़), म्यांमार (वित्तीय वर्ष 2017-18, 225 करोड़ जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19, 280 करोड़), अफगानिस्तान (वित्तीय वर्ष 2017-18, 350 करोड़ जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19, 325 करोड़) को आर्थिक सहायता दे रहा है।

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श्रीलंका के हंबनटोटा में चीन ने किया है निवेश
गौरतलब है कि चीन सामरिक और आर्थिक दृष्टि से भारत को चारों ओर से घेरने के लिए दक्षिण एशियाई देशों में अपनी सक्रियता को लगातार बढ़ाता जा रहा है। इसी के परिणाम स्वरूप चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा के गहरे समुद्र के बंदरगाह के विकास के लिए श्रीलंका सरकार से 1.1 बिलियन डॉलर का समझौता किया है। इस समझौते के तहत चीन हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल के पट्टे पर ले रहा है। इसके साथ हीं चीन ने श्रीलंका में अन्य आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए पैसा लगाया है।
बता दें कि चीन इसके अलावे बांग्लादेश में भी निवेश करने की योजना बना रहा है। इसके तहत चीन बांग्लादेश में 1320 मेगावाट के विद्युत संयंत्र सहित कुल 25 परियोजनाओं में निवेश करने का योजना बना रहा है। साथ ही साथ सैन्य संबंधों को बढ़ाने पर भी विचार कर रहा है।
किन देशों के साथ कितने का करार
बता दें कि चीन ने दक्षिण एशियाई देशें में लगातार निवेश को बढ़ाया है। चीन ने अफगानिस्तान में 210 मीलियन डॉलर, म्यांमार में 2.52 बिलियन डॉलर , बांग्लादेश में 13.87 बिलियन डॉलर, श्रीलंका में 3.11 बिलियन डॉलर, नेपाल में 1.34 बिलियन डॉलर, मालदीव में 970 मीलियन डॉलर और पाकिस्तान में 12.9 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।

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चीन का महत्वकांक्षी ओबीओआर परियोजना
भारत को दक्षिण एशियाई देशों से अलग कर अपना प्रभुत्व स्थापित करने की योजना में चीन ने वन बेल्ट वन रोड़ परियोजना को भी लागू किया है। साथ हीं रिंग ऑफ पर्ल्स पर भी काम कर रहा है। इन दोनों परियोजनाओं के पूरा होने पर चीन एक शक्तिशाली पड़ोसी देश के रूप में भारत को अलग करने में सफल हो जाएगा।

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