फिलहाल भारत पूर्वी लद्दाख में इज़राइली हेरोन ड्रोन ( Israeli Heron Drone ) का इस्तेमामल करता है जो सर्विलांस के काम आता है। सेना प्रीडेटर बी ड्रोन के पक्ष में ये बात अलग है कि अमरीका ने 4 अरब डॉलर से अधिक के 30सी गार्डियन बेचने की पेशकश की है। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों ( National Security Planners ) को लगता है कि सर्विलांस और टारगेट पर हमला के लिए एक ही ड्रोन हो न कि अलग-अलग। भले ही भारतीय नौसेना ( Indian Navy ) अमरीका के साथ बातचीत में मुख्य भूमिका निभा रही है लेकिन भारतीय सेना प्रिडेटर-बी के पक्ष में है।
Rahul Gandhi : 3 बड़ी असफलताओं पर केस स्टडी करेगा हॉर्वर्ड, कोरोना पर मोदी के उठाए गए कदम भी होंगे शामिल अमरीकी प्रीडेटर बी ड्रोन की खासियत यह है कि वह अटैक के साथ-साथ लक्ष्य की खुफिया जानकारी जुटाता है। फिर उसे खत्म करने के लिए हमले भी करने में सक्षम है। यानी यह ड्रोन तलाश और विध्वंस का दोहरा काम करने में माहिर है। हथियारों से लैस, मध्यम ऊंचाई तक पहुंचाने वाला, एक साथ कई अभियानों को अंजाम देने और लंबे समय तक हवा में रहने में सक्षम है।
अमरीका भारत को उच्च तकनीकी हथियारों की आपूर्ति के लिए तैयार है, लेकिन साथ ही साथ भारत के द्वारा एस-400 मिसाइल सिस्टम ( S-400 Missile System ) रूस से खरीदने से नाखुश भी है। उसे डर है कि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली भारत मास्को तक पहुंचा सकता है।
चीन पाकिस्तान को 4 हमलावर ड्रोन बेचने के लिए तैयार वहीं, चीन भारत की तैयारी का जवाब देने के लिए पाकिस्तान को आगे लाने की योजना पर काम कर रहा है। वह पाकिस्तान को 4 हमलावर ड्रोन देने जा रहा है। बता दें कि चीन पूर्वी लद्दाख में भारतीय जमीन पर कब्जा करने की फिराक में लगा है। चीन की इस नापाक हरकत के जवाब में ही अमरीका भारत को अपने बेहद घातक प्रिडियटर बी ड्रोन देने जा रहा है।
Bihar Assembly Elections : आरजेडी के रुख से महागठबंधन में फूट के आसार, हम नेता मांझी ने दिया अल्टीमेटम चीन के साथ मिलकर 48 ड्रोन बनाएगा पाक पाकिस्तान को हमलावर ड्रोन देने के पीछे चीन का दावा है कि वह चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर ( CPEC ) और बलूचिस्तान में बन रहे चीनी नौसेना के बेस की सुरक्षा के लिए ऐसा कर रहा है। इसके साथ ही पाकिस्तान अब अपनी एयरफोर्स के लिए चीन के साथ मिलकर ऐसे 48 हमलावर ड्रोन विमान बनाना चाहता है। GJ-2 ड्रोन विंग लोंग II का सैन्य संस्करण है।
माना जाता है कि चीनी ड्रोन विमान में हवा से जमीन में मार करने वाली मिसाइलें लगी रहती हैं। इस ड्रोन विमान का लीबिया के गृहयुद्ध में इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन वहां इसे बहुत सीमित सफलता मिल रही है।