दरअसल, जून में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ( Video Conferencing ) के जरिए महागठबंधन नेताओं की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ( Ahmed Patel ) ने 25 जून तक कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने का प्रॉमिस हम नेता जीतन राम मांझी ( Jeetan Ram Manjhi ) , आरएलएसपी उपेंद्र कुशवाहा ( Upendra Kushwaha ) व अन्य सहयोगी दलों को दिया था। इसी बैठक में मांझी ने कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने को लेकर अल्टीमेटम ( Ultimatum ) दिया था।
32 देशों के 239 वैज्ञानिकों का दावा – हवा से भी फैलता है कोराना, WHO से की इस बात की मांग 24 जून को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ( Sonia Gandhi ) की पहल पर महागठबंधन की वर्चुअल बैठक बुलाई गई। इसमें घटक दलों ने आरजेडी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली थी। इसी बैठक में कांग्रेस ने मांझी को आश्वस्त किया था कि 31 जुलाई तक कोआर्डिनेशन कमेटी बना दी जाएगी। लेकिन आज तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। न ही आने वाले समय में कोऑर्डिनेशन कमेटी की किसी तरह की कोई चर्चा हो रही है।
दूसरी तरफ महागठबंधन के वर्चुअल बैठक ( Virtual meeting ) के दौरान कोऑर्डिनेशन कमेटी को लेकर कांग्रेस के आश्वासन के दूसरे दिन हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ( Hindustani Awam Morcha ) की कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई थी। 26 जून को कोर कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया कि कांग्रेस ने जो समय मांगा है, अगर तय समय पर कोऑर्डिनेशन कमेटी नहीं बनती है तो पार्टी प्रमुख जीतन राम मांझी जो भी फैसला लेंगे पार्टी के सभी लोग उस फैसले का के साथ रहेंगे।
कोऑर्डिनेशन कमेटी को लेकर जीतन राम मांझी ( Jeetan Ram Manjhi ) लगातार यह कहते रहे हैं कि महागठबंधन में शामिल सभी घटकों की बात होनी चाहिए। कोई एक पार्टी महागठबंधन के लिए निर्णय नहीं ले सकता। इसलिए जरूरी है कि कोऑर्डिनेशन कमिटी का निर्माण हो। ताकि सभी पार्टियां अपनी अपनी बात वहां रख सके और चुनाव की रणनीति तैयार की जा सके।
Rahul Gandhi : 3 बड़ी असफलताओं पर केस स्टडी करेगा हॉर्वर्ड, कोरोना पर मोदी के उठाए गए कदम भी होंगे शामिल दूसरी तरफ अब यह चर्चा आम हो चली है कि जीतन राम मांझी महागठबंधन छोड़ सकते हैं। हालांकि पार्टी की तरफ से इस तरह की बातों को मात्र अफवाह बताया जा रहा है। लेकिन मांझी के रुख को देखते हुए अनुमान लगाया लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में वह एक बड़ा फैसला ले सकते हैं। पार्टी के नेताओं ने बताया कि फिलहाल जीतन राम मांझी वेट एंड वॉच की स्थिति में है।
अगर ऐसा हुआ तो कोऑर्डिनेशन कमिटी या महागठबंधन को लेकर अन्य घटक दल यानी आरएलएसपी और वीआईपी ( VIP ) जैसी पार्टियां भी अलग रुख अख्तियार कर सकती हैं। इस बीच जानकारी मिली है कि 10 जुलाई के बाद जीतन राम मांझी कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
महागठबंधन को लेकर जितेंद्र मांझी की यह नाराजगी कोई नहीं है। वह महागठबंधन के सबसे बड़े दल आरजेडी के रुख को लेकर कई बार अपनी नाराजगी जता चुके हैं। जीतन राम मांझी तो यहां तक कह चुके हैं कि आरजेडी नेता और लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav ) घटक दलों की बात ही नहीं सुनते। जाहिर है मांझी की यह नाराजगी उन्हें कोई बड़ा कदम उठाने को मजबूर कर रही है। अब उनका अगला कदम क्या होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।