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International Yoga Day 2020: क्या इस्लामिक और ईसाई देशों ने योग को कर लिया है स्वीकार?

-International Yoga Day 2020: स्वस्थ रहने के लिए योग ( Yoga Day 2020 Date ) जरूरी है। -भारत में 5 हजार साल पहले से योगाभ्यास ( Yoga Day in India ) की परंपरा चली आ रही है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई अभ्यास ( Yoga Benefits ) बताए गए है, जिन्हें योग कहा जाता है। -21 जून को दुनियाभर में छठा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ( Yoga Day on 21 June ) मनाया जाएगा। इसके लिए भारत में तैयारियां चल रही हैं। लेकिन, दुनियाभर में कई ऐसे भी है, जो योग को धर्म ( Religion ) के नजरियों से देखते हैं।

Jun 20, 2020 / 02:28 pm

Naveen

International Yoga Day 2020 acceptable for Islamic countries know fact

International Yoga Day 2020: क्या इस्लामिक और ईसाई देशों ने योग को कर लिया है स्वीकार

International Yoga Day 2020: स्वस्थ रहने के लिए योग ( Yoga Day 2020 Date ) जरूरी है। भारत में 5 हजार साल पहले से योगाभ्यास ( Yoga Day in India ) की परंपरा चली आ रही है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई अभ्यास ( Yoga Benefits ) बताए गए है, जिन्हें योग कहा जाता है। 21 जून को दुनियाभर में छठा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ( Yoga Day on 21 June ) मनाया जाएगा। इसके लिए भारत में तैयारियां चल रही हैं। लेकिन, दुनियाभर में कई ऐसे भी है, जो योग को धर्म के नजरियों से देखते हैं।

मुस्लिम, ईसाई और यहूदी का मानना है कि योग हिंदू और बौद्ध धर्म जुड़ा एक प्राचीन आध्यात्मिक साधना है। बीबीसी के मुताबिक, साल 2012 में ब्रिटेन में एक योग क्लास को चर्च ने बंद कर दिया था। पादरी जॉन शैंडलर बताते हैं, “योग एक हिंदू आध्यात्मिक साधना है, एक कैथोलिक चर्च होने के नाते हमें गॉस्पल ( ईसा के उपदेश ) को प्रचारित करना चाहिए।” वहीं कुछ लोगों का मानना है कि योग से धर्म भ्रष्ट होने का डर रहता है।

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बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमरिका में रहने वाली योग शिक्षिका फरीदा हमजा पिछले 2 साल से योग कर रही हैं। वह बताती हैं, जब उसने योग करने का फैसला लिया तो कुछ लोगों से प्रतिक्रिया मिली कि यह इस्लाम के खिलाफ हो सकता है। इसी तरह अमरिका के प्रमुख पादरी योग को “शैतानी” बता चुके हैं। जहां हिंदुओं का मानना है कि योग के जरिए आप प्रकृति से सही स्वरूप और अपनी वास्तविक स्थिति के बारे में जान सकते हैं, जबकि कई इसे जन्म-मृत्यु के बंधनों से छुटकारा पाने का साधन मानते हैं। यह एक विषय है कि ये सब ईसाइयत, इस्लाम और दूसरे धर्मों में मान्य है या नहीं।

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सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार एक योग की क्रिया है, लेकिन इसे कुछ हिंदू देवता सूर्य से जोड़कर देखते हैं। फ्रेंच बताती हैं, “ये थोड़ा धार्मिक है, लेकिन ये आपके नज़रिए पर निर्भर करता है, अगर मैं चाहूं तो घुटने टेकने का मतलब प्रार्थना करना भी है और मैं ये भी सोच सकती हूं कि मैं तो सिर्फ झुक रही हूं।”

ईरान में एक खेल है योग
बीबीसी के मुताबिक, ईरान में योग को एक खेल के रूप में देखा जाता है। यहां कक्षाओं का अंत नमस्ते और प्रार्थना के साथ होता है। ध्यान के लिए ओम मंत्र का जाप किया जाता है। कई योग कक्षाओं में हिंदू मंत्रों का पाठ होता है, तो दूसरों में जीवनदायी शक्तियों और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का हवाला दिया जाता है। यहां योग के फायदों पर ज्यादा चर्चा की जाती है।

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मलेलिशया में प्रतिबंध
मलेशिया में आध्यात्मिक योग पर प्रतिबंध हैं। अमेरिका में योग के नाम बदल दिए गए हैं। कुछ लोगों ने अष्टांग योग के नाम को लेकर आपत्ति की तो आसनों के नाम बदल दिए गए। पद्म आसान को ‘क्रिस-क्रॉस एपल सॉस’ नाम दिया गया। सूर्य नमस्कार का नाम बदलकर ‘ओपनिंग सीक्वेंस’ हो गया है। आयोजक योग को एक शारीरिक कसरत बताते हैं, लेकिन कुछ ईसाई संगठन इसका विरोध करते हैं।

विरोध लेकिन फायदे
अमेरिका में साल 2013 में सैन डिएगो काउंटी कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था, जिसमें योग को धर्म से जुड़ा माना, लेकिन संशोधित रूप का अभ्यास और स्कूलों में उसकी शिक्षा देना सही बताया गया। इसी तरह ईसाई संगठन नेशनल सेंटर फॉर लॉ एंड पॉलिसी के अध्यक्ष डीन ब्रॉयल्स ने कहा कि पश्चिम में कई लोग योग को गैर धार्मिक मानते हैं। एक ईरानी योग शिक्षक ने बीबीसी को बताया कि उनके छात्रों का कहना है कि योग का अभ्यास करने के बाद वे अधिक एकाग्रता के साथ प्रार्थना कर पाते हैं। वहीं, फरीदा हमजा कहती हैं, “हम इस्लाम में जिन शिक्षाओं का अनुकरण करते हैं, वे सभी योग में समाहित हैं। हालांकि वह कहती हैं कि वो ये नहीं मानती हैं कि इस्लाम पर योग का प्रभाव पड़ा है।

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