इसरो ( ISRO ) दिसंबर 2020 से पहले नया रॉकेट SSLV लॉन्च करने में जुटा।
शानदार रॉकेट को डेवलप करने में 120 करोड़ रुपये की लागत आई।
इस रॉकेट में स्थानीय कंपोनेंट के साथ बिल्कुल नई इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है।
ISRO plannig for next big target, to launch a new rocket before December 2020
चेन्नई। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ( ISRO ) अब अगले बड़े लक्ष्य की तैयारी में जुटा है। इस वर्ष के खत्म होने से पहले यानी दिसंबर 2020 से पहले इसरो अपने नए रॉकेट को लॉन्च करने की दिशा में काम कर रहा है। इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को ‘स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV)’ को लॉन्च करने के बारे में यह जानकारी दी।
एक गलती पर चीन को तबाह करने की तैयारी, सरकार ने परमाणु मिसाइल शौर्य की तैनाती को दी मंजूरी इसरो अधिकारी के मुताबिक इस रॉकेट की सबसे बड़ी मोटर ठोस ईंधन वाली बूस्टर मोटर है, जिसकी जांच के लिए जरूरी टेस्टिंग नवंबर में की जाएगी। इसरो के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) के निदेशक एस सोमनाथ ने कहा, “पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल सी49 (PSLV C49) की उड़ान के बाद श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट पर पहले लॉन्च पैड से SSLV को लॉन्च किया जाएगा। PSLV C49 की उड़ान के बाद लॉन्च पैड को SSLV के हिसाब से तैयार किया जाना है।”
सोमनाथ ने आगे बताया कि अगले महीने PSLV C49 लगभग 10 सैटेलाइट के साथ उड़ान भरेगा। यह रॉकेट भारत के RISAT-2BR2 और अन्य कमर्शियल सैटेलाइट्स को अपने साथ ले जाएगा। इसके बाद दिसंबर में GSTA-12R सैटेलाइट के साथ PSLV C50 उड़ान भरेगा। इस रॉकेट को विभिन्न सेंटर्स से आने वाले कई सिस्टम्स के साथ श्रीहरिकोटा में तैयार (एसेंबल) किया जा रहा है और यह दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरेगा।
सोमनाथ ने कहा कि इसे कागज से लॉन्चपैड तक ले जाने में करीब ढाई साल का वक्त लगा। ठोस ईंधन (सॉलिड फ्यूल) से चलने वाला SSLV तीन स्टेज/इंजन रॉकेट है। 34 मीटर लंबे इस रॉकेट में 120 टन का भार उठाने की क्षमता होने के साथ ही कई कक्षाओं में कई सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की भी क्षमता है। SSLV पृथ्वी की निचली कक्षा या लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) के लिए 500 किलोग्राम का पेलोड और सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट के लिए 300 किलोग्राम वजन ले जा सकता है।
डीआरडीओ ने हासिल की बड़ी सफलता, बना दी वो मिसाइल जो पनडुब्बी या जहाज को फट से कर देगी तबाह उन्होंने बताया कि इस शानदार रॉकेट को डेवलप करने में तकरीबन 120 करोड़ रुपये की लागत आई है। उन्होंने कहा, “SSLV के डेवलपमेंट में खास बात यह है कि इसमें स्थानीय कंपोनेंट के साथ बिल्कुल नई इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है। इसके सिस्टम को पूरी तरह रेडी किया जा चुका है और इसमें एक आसान पायरोटेक्निक सिस्टम भी है।”
सोमनाथ के मुताबिक SSLV को विकसित करने की लागत कम होने के साथ ही नए रॉकेट के लिए केवल PSLV रॉकेट के तीसरे चरण को अपनाया गया है। इसमें एक सैटेलाइट को लॉन्च करने की प्रति किलोग्राम की लागत इसरो के अन्य रॉकेट PSLV के जैसी ही होगी। इसके लिए पहला पेलोड पहले ही बुक हो चुका है। चूंकि रॉकेट में 500 किलोग्राम तक वजन ले जाने की क्षमता है, इसलिए कुछ और पेलोड भी देखे जा रहे हैं।