पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती को जन सुरक्षा कानून ( Public Safety Act ) के तहत नजरबंद रखा गया है। मुफ्ती पिछले साल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के समय से ही हिरासत में हैं।
भारत में मोबाइल को हुए 15 साल, जानें सबसे पहले देश में दो शहरों में किन दो लोगों ने की थी बात जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती की मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही है। मई की शुरुआत में ही महबूबा की पीएसए के तहत हिरासत को तीन महीने के लिए बढ़ाने के बाद शुक्रवार को एक बार फिर उनकी नजरबंदी बढ़ी दी गई है।
यानी अब अक्टूबर तक महबूबा को अपने ही घर में नजरबंद रहना होगा। कोरोना के चलते घर में किया था शिफ्ट
देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच महबूबा को अस्थाई जेल से उनके निवास में शिफ्ट किया गया था। अब वे अपने घर में ही नजर बंद हैं।
आपको बता दें कि 5 अगस्त 2019 को संसद में एक प्रस्ताव पारित होने के बाद अनुच्छेद 370 में अहम बदलाव किया गया। इसके साथ आर्टिकल 35 ए को खत्म कर दिया गया। खास बात यह है कि इस दौरान प्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को हिरासत में लिया गया। जन सुरक्षा कानून के तहत नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को हिरासत में लिया गया था। तीनों ही पूर्व मुख्यमंत्रियों को अलग-अलग तारीखों में हिरासत में लिया गया था।
सुशांत सिंह राजपूत मामले में आया एक चौंकाने वाला मोड़, बिहार से मुंबई पहुंची पुलिस के सामने आई ये बड़ी परेशानी उमर अब्दुल्ला ने अपनी रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद उन्हें 20 मार्च 2020 को रिहा कर दिया गया था।
इस दौरान महबूबा की बेटी इल्तिजा ने कहा था कि उनकी मां से कहा गया है कि अगर वे उस बॉन्ड पर साइन कर दें कि कश्मीर के मुद्दे पर चुप रहेंगे तो उन्हें रिहा किया जा सकता है।
सज्जाद लोन को किया रिहा
आपको बता दें कि शुक्रवार को ही पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को सरकार ने रिहा किया है। लोन को भी अनुच्छेद 370 हटाए जाने के समय ही हिरासत में लिया गया था। लोन ने रिहा किए जाने की जानकारी ट्वीट कर दी थी।
एक साल पूरे होने से पांच दिन पहले मुझे आधिकारिक रूप से सूचित किया गया कि मैं अब आजाद हूं।