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LAC Dispute : अब चीन ने डीबीओ के पास खोला नया मोर्चा, डेपसांग सीमा किया पार

Daulat Baig Oldi का क्षेत्र सामरिक और कूटनीतिक तौर पर महत्पूर्ण है। डीबीओ से एयरस्ट्रिप की दूरी महज 30 किलोमीटर है।
Ram Madhav ने Aksai Chin पर भारत के दावे को दोहराते हुए कहा कि वह हमारा है। भारत को चीन सीमा पर वैसी ही आक्रामकता दिखानी चाहिए जैसी वह पाकिस्तान सीमा पर दिखाता है।
LAC से लगते क्षेत्र में चीनी की ओर से सैन्य जमावड़ा, सैन्य वाहनों की आवाजाही, अर्थ मूवर्स मशीनरी सहित आधारभूत संरचनाओं के निर्माण जैसी गतिविधियां जारी है।

Jun 25, 2020 / 01:12 pm

Dhirendra

चीन भारत के साथ शांति वार्ता के नाम पर फिर धोखा देना चाहता है।

नई दिल्ली। भारत और चीन ( India and China ) के बीच लद्दाख में तनाव कम होने के बजाय गहराता जा रहा है। गलवान हिंसा ( Galwan Violence ) के बाद चीन शांति वार्ता के नाम पर भारत को फिर धोखा देने में लगा है। गलवान घाटी, पैंगोंग सो और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र के बाद चीन ने अब भारत के सामने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चौथा फ्रंट ( Fourt Front ) खोल दिया है।
सामरिक लिहाज से डेपसांग प्लेन्स अहम ( Depsang Plains is important from a strategic point of view )

इस बार चीनी सेना ने उत्तर में दौलत बेग ओल्डी ( Daulat Baig Oldi ) के पास डेपसांग प्लेन्स के इलाके को पार कर लिया है। चीन की इस घुसपैठ को LAC पर विवादित सीमा को और पश्चिम में शिफ्ट करने का उसका एक प्रयास माना जा रहा है। दौलत बेग ओल्डी का क्षेत्र सामरिक और कूटनीतिक ( Strategic and Diplomatic ) तौर पर काफी अहम है। डीबीओ एयरस्ट्रिप से इसकी दूरी महज 30 किलोमीटर ही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चीनी सेना ने डेपसांग प्लेन्स के Y-जंक्शन या बॉटलनेक एरिया में भारी संख्या में सेना की तैनाती कर दी है। इनमें जवानों के साथ भारी वाहन और विशेष सैन्य उपकरण भी शामिल हैं।
2013 में भी हुआ था आमना-सामना

दरअसल, बॉटलनेक डेपसांग प्लेन्स ( Bottleneck Depsang Plains ) में वह छोटा दर्रा है, जहां दोनों तरफ पहाड़ियों की वजह से किसी वाहन का आना-जाना भी मुश्किल है। अप्रैल, 2013 में भी चीन ने इस जगह पर टेंट लगा लिए थे। उस समय दोनों देशों की सेनाओं के बीच 3 हफ्ते तक आमना-सामना जारी रहा था और राजनयिक स्तर पर हुई बातचीत के बाद ही दोनों सेनाएं वापस लौटी थीं।
बॉटलनेक का इलाका एलएसी के 18 किलोमीटर अंदर भारत की तरफ पड़ता है। चीनी मानते हैं कि एलएसी यहां पर 5 किमी पश्चिम में है। इस लिहाज से चीन संपूर्ण बॉटलनेक इलाके को अपना मानता है। यह क्षेत्र लद्दाख के छोटे से शहर बुर्त्से के उत्तर-पूर्व में 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बुर्त्से 255 किलोमीटर लंबी दार्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड पर ही पड़ता है। यहां भारतीय सेना का एक पोस्ट भी मौजूद है।
बॉटलनेक बुर्त्से उत्तर की ओर से राकी नाले के पीपी-10 प्वाइंट से पीपी 13 तक है। इन प्वाइंटों पर भारतीय सेना की टुकड़ियां गश्त करती हैं। अगर चीन यहां तक अपनी पहुंच सुनिश्चित कर लेता है तो इस क्षेत्र में भारतीय सीमा तक आसानी से पहुंच जाएगा।
डेपसांग में है भारत की पेट्रोल यूनिट

भारतीय सेना ( Indian Army ) के मीडिया विंग के एक अफसर ने कहा कि इस रिपोर्ट की न तो पुष्टि की जा सकती है और न ही नकारा जा सकता है। 2013 में डेपसांग एरिया में चीनी सेना की घुसपैठ के बाद भारत ने बॉटलनेक एरिया के पास ही एक स्थानीय पैट्रोल यूनिट ( Petrol unit ) तैनात कर दी थी। ताकि किसी भी चीनी घुसपैठ की घटना को रोका जा सके। इसके बावजूद चीन का एक गश्ती दल सितंबर, 2015 में बुर्त्से से 1.5 किलोमीटर दूर एक क्षेत्र तक पहुंचने में सफल हो गया था।
बता दें कि चीन की ओर से एलएसी पर घुसपैठ की घटनाएं साल-दर-साल बढ़ती जा रही हैं। 2019 में चीन की तरफ से 157 बार घुसपैठ हुई। जबकि 2018 में 83 बार और 2017 में यह 75 बार हुआ था।
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लद्दाख का हिस्सा है अक्साई चिन : Ram Madhav

दूसरी तरफ चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बीच बीजेपी के महासचिव राम माधव ( BJP general secretary Ram Madhav ) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने अक्साई चिन ( Aksai Chin ) पर भारत के दावे को दोहराते हुए कहा कि वह हमारा है। भारत को चीन सीमा पर भी वैसी ही आक्रामकता दिखानी चाहिए जैसी वह पाकिस्तान सीमा पर दिखाता है। अपने आत्म सम्मान और मातृभूमि की रक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी है।
आरएसएस के मुख्यपत्र आर्गेनाइजर की ओर से भारत चीन सीमा मुद्दे पर आयोजित एक कार्यक्रम में राम माधव ने कहा कि भारत को चीन के साथ कूटनीतिक और सैन्य दोनों मोर्चों पर सक्रियता दिखानी चाहिए। हमारा दावा केवल एलएसी तक सीमित नहीं है। जहां तक जम्मू-कश्मीर ( Jammu-Kashmir ) का सवाल है तो इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी शामिल है। जब हम लद्दाख की बात करते हैं तो इसमें गिलगित बाल्टिस्तान और अक्साई चिन भी शामिल हैं।
इसलिए भारत को अपने आत्म सम्मान के लिए एलएसी ( LAC ) पर आक्रामकता दिखाने की जरूरत है। भारत को अपनी इंच जमीन की रक्षा करनी होगी।

LAC पर चीन ज्यादा आक्रामक

बीजेपी के महासचिव राम माधव ने स्वीकार किया कि आज एलएसी पर चीन ज्यादा आक्रामक है। लेकिन इस बार चीन की इस आक्रामकता के खिलाफ भारतीय रवैया भी मुखर है। चीन कभी भी सीमा विवाद को सुलझाना नहीं चाहता था। यही वजह है कि नरसिम्हा राव के कार्यकाल में हुए समझौते में उसने एक द्विपक्षीय समझौते में एक्जिस्टिंग शब्द जोड़ने से मना कर दिया था।
1988 में राजीव गांधी और 1993 में नरसिम्हा राव हों या देवेगौड़ा या यूपीए सरकार, सभी ने चीन के साथ शांति कायम करने की कोशिश की, लेकिन चीन ने सबको धोखा दिया।

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Satellite image : लद्दाख क्षेत्र में बरकरार है चीनी सैनिकों जमावड़ा

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र ( East Ladakha Area ) में गलवान में हिंसक झड़प ( Galwan Violene ) के बाद भी चीन अपनी हरकत से बाज नहीं आया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) से लगते क्षेत्र में चीनी सैनिकों, सैन्य वाहनों, अर्थ मूवर्स मशीनरियों सहित आधारभूत संरचनाओं के निर्माण के साथ उसकी गतिविधियां जारी है। यूएस फर्म मैक्सर टेक्नोलॉजीज की ओर से जारी 22 जून की सैटेलाइट इमेज से भी इस बात की पुष्टि हुई है। सैटेलाइट इमेज उस दिन की है जिस दिन गलवान हिंसा के बाद दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों के बीच 11 घंटे तक बातचीत हुई थी।
सैटेलाइट इमेज के बारे में उत्तरी सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने बताया है कि यह इमेज गलवान घाटी ( Galwan Valley ) और पीपी-14 के पास की है। इस क्षेत्र में को चुनौतियों का सामना करने के लिए हर पल भारतीय सैनिकों को सतर्क रहने की जरूरत है और सावधानी के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सेना एलएसी क्षेत्र में पूरी तरह से सतर्क है चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ( Chinese People’s Liberation Army ) का जवाब देने के लिए तैयार है। अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया का कहना है कि सैटेलाइट इमेज के आधार पर अंतिम व्याख्या तक पहुंचना मुश्किल है।
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