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स्वतंत्रता सेनानी की जुबानी, आजादी की कहानी 

आजादी के लिए सत्यदेव ने अपनी जान की बाजी लगा दी और भारत को आजाद करवाने के लिए जेल तक गए

Aug 14, 2015 / 11:04 pm

भूप सिंह

independence day

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झुंझुनूं। स्वतंत्रता सैनानी सत्यदेव कुल्हार झुंझुनू जिले के लिए ही नहीं बल्कि पूरे शेखावाटी की शान है। आजादी के लिए सत्यदेव ने अपनी जान की बाजी लगा दी और भारत को आजाद करवाने के लिए जेल तक गए। जिले के पिलानी कस्बे के समीप नरहड़ गांव में सादा जीवन जी रहे है स्वतंत्रता सेनानी सत्यदेव कुल्हार के अनुसार महात्मा गांधी का भारत एवं पाकिस्तान के बंटवारे में कोई भी रोल नहीं था तथा महात्मा गांधी कभी नहीं चाहते थे कि देश का बंटवारा हो। महात्मा गांधी जी को जब बंटवारे का पता चला था तो वह काफी दुखी हुए थे और उनकी आंखों में आंसू निकल आए थे। उन्होंने कहा कि वैसे तो भारत व पाक के बंटवारे के लिए गांधी जी पर आरोप लगते है लेकिन उनको इस निर्णय के बारे में जानकारी तक नहीं थी और अंग्रेजों के हिसाब से देश का विभाजन हुआ।

उन्होंने कहा कि उस समय तीन नेताओं ने जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना आजाद ने अंग्रेजों के माउंट बेटेन से समझौता कर लिया और गांधी से पूछा तक नहीं। कुल्हार का कहना है कि कांग्रेस का गठन सिर्फ आजादी के लिए हुआ था और उसके बाद कांग्रेस पार्टी को भंग करने का निर्णय लिया गया था। लेकिन कुछ लोग राजनैतिक महत्वाकांक्षा के चलते पार्टी को भंग नहीं किया। सत्यदेव को आज भी एक बात का मलाल है कि भारत वैसा तो आजाद हो गया लेकिन आज भी आजादी सही मायने में नहीं मिली है।

सत्यदेव को नौ अगस्त 2015 में भारत छोड़ो दिवस के समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के द्वारा सम्मानित किया गया। सत्यदेव ने 1942 में महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया तथा 1946 में जेल भी गए। सत्यदेव ताम्र पत्रों से भी सम्मानित है। सत्यदेव संसद में जो कुछ हो रहा है उससे भी काफी दुखी है उनका मानना है कि संसद में ये सब कुछ नहीं होना चाहिए।

सत्यदेव का ये भी मानना है कि आजादी के बाद से जो राजनैतिक महत्वाकांक्षा का आगाज हुआ था वो आज भी जारी हैं। सिर्फ चेहरे बदल गए। देश के बारे में सोचने की जरूरत है। सिर्फ आजादी मिलना ही हम सब का लक्ष्य नहीं था हम भारत को एक अच्छा राष्ट्र बनाना चाहते थे। लेकिन वैसा नहीं हो सका, जिसका मुझे मलाल है।

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