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कर्ज मांगना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं: बॉम्बे हाई कोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि बकाया कर्ज की रकम की मांग करने को किसी भी प्रकार से आत्महत्या के लिए उकसाने वाला नहीं कहा जा सकता है

Jan 07, 2021 / 04:05 pm

Vivhav Shukla

Loan repay demand by official is not abetment to suicide: HC

नई दिल्ली। हर शख्स को जीवन में कभी न कभी कर्ज लेना ही पड़ता है। जिसे वो जल्द से जल्द चुकाने की इच्छा रखता है, लेकिन कर्ज का अंत नहीं आता है। ऐसे में कई लोग थक-हारकर खुदकुशी जैसा कदम उठा लेते हैं। हाल ही में एक ऐसा ही मामला नागपुर से सामने आया था। जहां प्रमोद चौहान नाम के एक शख्स ने फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी से कर्ज चुकाने की मांग करने पर आत्महत्या कर ली थी।

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प्रमोद ने आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा था। जिसमें उन्होंने रोहित नलवड़े नाम के एक शख्स पर कर्ज की रकम के लिए वसूली के लिए उसे परेशान करने का आरोप लगाया था। इसके बाद रोहित पर भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने वाला) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

केस दर्ज होने के बाद रोहित ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में इसके खिलाफ एक याचिका दायर की थी। जिसमें इस आरोप को गलत बताया था। अब कोर्ट उनपे लगे सभी आरोप में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है।

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न्यायमूर्ति विनय देशपांडे और न्यायमूर्ति अनिल किलोर की पीठ ने कहा पैसे मांगना कमर्चचारी के कर्तव्य का हिस्सा है। इसे आत्महत्या के लिए उकसाने वाला मामला नहीं कहा जा सकता है। न्यायमूर्ति ने आगे कहा रोहित नलवड़े केवल अपने कर्तव्य का पालन कर रहा थे और उधार लेने वाले प्रमोद चौहान से इसे वसूल करने का प्रयास कर रहा थे।

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पीठ ने साफ तौर पर कहा कि किसी से बकाया कर्ज की रकम मांगना किसी भी प्रकार से आत्महत्या के लिए उकसाने वाला नहीं माना जा सकता है।

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