यह मामला मालदा जिले कालियाचक-2 ब्लॉक के लोहाईतला गांव से जुड़ा है। मामला यह है कि गांव के एक बुजुर्ग बिनय साहा की मौत के बाद उनके दोनों पुत्रों कमल साहा और श्यामल साहा को सूझ नहीं रहा था कि वह लोग इस लॉकडाउन में अंतिम संस्कार की व्यवस्था कैसे करें। इस बात को भांपकर लोहाईतला गांव के लोगों ने साहा भाई के पिता की अर्थी को कंधा देकर भाईचारे की मिसाल पेश की।
Lockdown : कोरोना केस छुपाने पर दिल्ली के एक निजी अस्पताल पर केस दर्ज, नियमों की अनदेखी का आरोप बता दें कि लोहाईतला गांव में साहा परिवार ही अकेला हिंदू परिवार है। बाकी सौ से ज्यादा मुस्लिम परिवार इस गांव में रहते हैं। मृतक बिनय साहा के पुत्र श्यामल साहा ने बताया कि मुस्लिम पड़ोसियों से घिरे होने के बावजूद अब तक हमने कभी खुद को अकेला महसूस नहीं किया है। लेकिन पिताजी की मौत ने हमें चिंता में डाल दिया था।
श्यामल साहा ने बताया कि देशभर में लॉकडाउन की वजह से हमारे दूसरे रिश्तेदार नहीं पहुंच सके। हमारे लिए अकेले पिता के शव को अर्थी देकर 15 किमी दूर शवदाह गृह तक ले जाना संभव नहीं था। मुस्लिम पड़ोसियों से मदद मांगने में भी हमें हिचिकचाहट हो रही थी। ऐसे में पंचायत प्रमुख अस्करा बीबी और उनके पति मुकुल शेख ने साहा को हरसंभव सहायता का भरोसा दिया।
महाराष्ट्र: घोटाले के आरोपी DHFL के वधावन परिवार ने तोड़ा लॉकडाउन, छुट्टी पर भेजे गए प्रधान सचिव अमिताभ गुप्ता पंचायत प्रमुख अस्करा बीबी ने कहा कि बिनय साहा के अंतिम संस्कार ने इलाके के तमाम लोगों ने राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठ कर मदद की।
वहीं, इस घटना के बाद स्थानीय माकपा नेता सद्दाम शेख ने कहा कि मानवीय रिश्तों में धर्म कभी आड़े नहीं आता। हमने वही किया जो करना चाहिए था। धर्म अहम नहीं है। संकट के समय अपने पड़ोसी की मदद करना हमारा फर्ज था। हम लोगों ने वही किया।