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मिसाल: 104 साल की दादी मां ने बदल दी गांव की तकदीर

बकरियां
चराकर जीवन-यापन करने वाली की 104 साल की बूढ़ी कुंवर बाई की काया भले ही जवाब दे
रही हो, लेकिन उनकी जिंदादिली सैकड़ों ग्रामीणों के लिए अनुकरणीय है

Sep 06, 2015 / 07:52 pm

सुभेश शर्मा

Toilet

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नई दिल्ली। बकरियां चराकर जीवन-यापन करने वाली की 104 साल की बूढ़ी कुंवर बाई की काया भले ही जवाब दे रही हो, लेकिन उनकी जिंदादिली सैकड़ों ग्रामीणों के लिए अनुकरणीय है। उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति ने छत्तसीगढ़ के धमतरी जिला मुख्यालय से 14 किमी दूर बसे गांव कोटार्भी की तकदीर बदल दी। इस गांव के हर घर में शौचालय है। यह खुले में शौच से मुक्त गांवों में शामिल है। इतना ही नहीं, स्वच्छता अभियान से प्रेरित कुंवर बाई ने बाकायदा घर-घर जाकर लोगों को शौचालय बनाने के लिए प्रेरित भी किया और गांववालों को इसके फायदे समझाए।

शौचालय बनवाने के लिए नहीं थे रूपए

धमतरी के कलेक्टर भीम सिंह ने गांववालों से शौचालय बनवाने के लिए अपील की थी, लेकिन कोई आगे नहीं आया। इसके बाद बकरियां चराकर जीवन-यापन करने वाली कुंवर बाई ने बकरियां बेचकर 22 हजार रूपये में गांव में सबसे पहले शौचालय बनवाया।

मेहनत रंग लाई : हर घर में है शौचालय

जीवन के आखिरी पड़ाव में भी उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति लाजवाब है, जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद है। कोटार्भी के सभी घरों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत शौचालय निर्मित हो चुके हैं।

पड़ोसी गांवों के लोगों ने भी अपनाया

कोटार्भी से सटा गांव जंगल ऊपरपारा में रह रहे 30 कमार परिवारों ने भी प्रेरित होकर अपने घरों में शौचालय बनवा लिए हैं। अब कोई लोटा लेकर जंगल की तरफ नहीं जाता। कुंवर बाई ने सोच बदल दी ग्राम स्वच्छता निगरानी समिति के सदस्य लवकुश ध्रुव, भगेलाराम यादव, राजकुमार ध्रुव, हेमलाल कमार व मयाराम कमार ने बताया कि 30 साल के इतिहास में पहली बार जिले के कलेक्टर भीम सिंह ने चौपाल लगाया था। कोटार्भी 15 जुलाई को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया।

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