
सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। मोदी सरकार की ओर से तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर लाए गए अध्यादेश के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका केरल के मुस्लिम संगठन ने दायर की है। बता दें कि मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि केरल के सुन्नी समुदाय के मुस्लिम संगठन जमीयत उल उलमा ने देश की सर्वोच्च अदालत को बताया है कि तीन तलाक पर केंद्र सरकार की ओर से लाए गया अध्यादेश मुस्लिमों के पर्सनल लॉ में दखल है। साथ में यह भी कहा है कि उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि अभी तक इस याचिका पर कोर्ट ने किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं की है। बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार के तीन तलाक पर लाए गए अध्यादेश के खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता की मांग है कि इसे गैरकानूनी ढंग से लाया गया है, इसलिए इसपर रोक लगानी चाहिए।
तीन तलाक को एक गैर जमानती अपराध माना गया है
आपको बता दें कि बीते 19 सितंबर (बुधवार) को मोदी सरकार ने तीन तलाक पर बड़ा फैसला लेते हुए अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी। इस अध्यादेश के बाद अब एक बार में तीन तलाक देना एक अपराध माना जाएगा। बता दें कि इस नए अध्यादेश के मुताबिक तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को गैर जमानती अपराध माना गया है लेकिन संशोधन के हिसाब से अब मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा। इसपर पहली सुनवाई 28 सितम्बर को होगी।
राज्यसभा में अटका है यह बिल
आपको बता दें कि लोकसभा में तीन तलाक को बिल पारित हो जाने के बाद राज्यसभा में अटक गया था। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस बिल में कुछ संशोधन करने की मांग की थी। हालांकि सरकार ने इसे मान भी लिया लेकिन इसके बावजूद भी राज्यसभा में यह बिल पास नहीं हो पाया था। बता दें कि सरकार की ओर से एक बार किसी बिल पर अध्यादेश जारी करने के बाद यह आगले 6 महीने तक लागू रहता है। इस दरमियान सरकार को संसद में इसे पास कराना होता है। जिससे की यह कानून को रूप ले सके। मालूम हो कि सरकार ने तीन तलाक बिल को बजट सत्र और मानसून सत्र में पेश किया था।
Published on:
25 Sept 2018 04:29 pm
बड़ी खबरें
View Allविविध भारत
ट्रेंडिंग
