नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के नवनियुक्त अध्यक्ष राम बहादुर राय ने कहा है कि यदि जवाहर लाल नेहरू के हाथ में होता तो बाबा साहब अंबेडकर संविधान सभा में नहीं होते। राय ने यह बात आईजीएनसीए की नई कार्यकारी समिति के गठन के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही। बाबा अंबेडकर के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यदि संविधान सभा के पदाधिकारियों व सदस्यों के बारे में नेहरू को अंतिम निर्णय लेना होता तो बाबा साहब संविधान सभा से बाहर होते।
राय ने कहा कि ये बात खुद संविधान सभा में नवंबर, 1949 में बाबा साहब अंबेडकर ने कही थी। अगर किसी को इस बारे में और ज्यादा जानकारी चाहिए तो 24 नंवबर, 1949 को संविधान सभा में दिए गए उनके संपूर्ण भाषणों का अध्ययन कर सकते हैं। इस बारे में सभी तथ्य उपलब्ध हैं। ये बात उन्होंने संविधान सभा की बैठक में बहस के दौरान कही थी।
कई मुद्दो पर बाबा साहब से सहमत नहीं थे नेहरू
उन्होंने इस बात की ओर इशारा करते हुए कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पं. नेहरू कई मुद्दों पर अंबेडकर के विचारों से सहमत नहीं थे। दोनों के बीच असहमति के ये बिंदु देश की आजादी से पहले व स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही चल रहा था। 1932 का कम्यूनल अवार्ड, गांधी का अंबेडकर के साथ समझौता करना, नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन, गोलमेज सम्मेलन जैसे मौके आए जब दोनों के विचारों में अंतर दिखा। परंतु आजादी के बाद व गोडसे द्वारा गांधी की हत्या के तत्काल बाद नेहरू अंबेडकर को कम महत्व देकर इस बात का संदेश नहीं देना चाहते थे उन्हें गांधी के विचारों व सिद्धांतों की परवाह नहीं है। फिर उनके समय देशी रिसासतों जैसे जटिल मुद्दे भी थे जिसका समाधान उन्हें करना था। इसलिए उन्होंने न चाहते हुए इस बिंदु पर उन्हें साथ लेकर चलना ही बेहतर समझा।
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