कानूनी विकल्पों की बात करें तो पवन गुप्ता के पास फिलहाल तीन विकल्प मौजूद हैं। इसमें पहला विकल्प है क्यूरेटिव पिटिशन का। इस विकल्प के खारिज होने पर पवन राष्ट्रपति को दया याचिका भेज सकता है। राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज होने पर भी पवन इसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकता है। ऐसे में इन विकल्पों के इस्तेमाल तक चारों दोषियों की फांसी टल जाएगी।
पवन के अलावा तीन दोषियों के कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं। ऐसे में वो दूसरे विकल्पों को अपना कर फांसी से बचने में जुटे हैं। इनमें विनय लगातार नई-नई चालें चल रहा है।
फांसी से बचने के लिए विनय लगातार खुद को चोट पहुंचा रहा है। भूख हड़ताल पर बैठकर वो अपना वजन लगातार कम कर रहा है। फांसी से पहले तय सीमा से उसका वजन कम पाया जाता है तो फांसी रोक दी जाती है।
डेथ वारंट जारी होते ही विनय के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। विनय की मानसिक अवस्था ठीक नहीं है। नया डेथ वॉरंट जारी होने के बाद से उसकी दिमागी हालत बिगड़ गई है।
खुद को चोटिल करने में जुटा विनय जेल के ग्रिल्स में अपना हाथ फंसाकर फ्रैक्चर करने की भी कोशिश कर चुका है। उसके वकील एपी सिंह ने कहा कि यह घटना 16 फरवरी को हुई थी और विनय की मां ने उन्हें अगले दिन इसकी जानकारी दी थी। 17 फरवरी को विनय ने अपनी मां को पहचानने से भी इनकार कर दिया था।
हाथ फ्रैक्चर और मानसिक अवस्था के दांव के बाद विनय ने दीवार पर सिर पटक कर खुद को चोटिल करने की चाल भी चली। हालांकि समय रहते सुरक्षाकर्मियों ने उसे गंभीर रूप से घायल होने से बचा लिया।
घटना के बाद चारों दोषियों की सुरक्षा पहले से ज्यादा बढ़ा दी गई है। विनय पहले भी जेल में खुदकुशी की कोशिश कर चुका है। जेल प्रशासन रखता है ख्याल
फांसी के फंदे पर लटकाए जाने से पहले किसी भी दोषी का अच्छे से मेडिकल चेकअप किया जाता है। इस बात का ख्याल रखा जाता है कि फंदे पर लटकने से पहले दोषी पूरी तरह से स्वस्थ्य हो। यहां तक की फांसी के तख्त पर ले जाने से तुरंत पहले दोषी का ब्लड प्रेशर, शरीर का तापमान आदि की जांच की जाती है।
खुद को चोटिल करके कोई भी दोषी अपनी फांसी को टाल तो सकता है, लेकिन उसे खत्म नहीं कर सकता है।