चुनाव आयोग ने झाड़ा पल्ला भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अब यह विकल्प खत्म करने की मांग की है। दोनों पार्टियों का कहना है कि अप्रत्यक्ष चुनावों के लिए यह ठीक नहीं है। इधर दोनों बड़ी पार्टियों के साथ आने के बाद चुनाव आयोग ने भी खुद को उस अधिसूचना के विवाद से अलग कर लिया है, जिसे जनवरी 2014 में जारी किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में पीयूसीएल (पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज) के फैसले में आम चुनावों में मतदाताओं के लिए नोटा का आदेश दिया था।
भारतीय छात्र की हत्या करने वाली ऑस्ट्रेलियाई युवती पर आरोप तय, 19 नवंबर को होगी अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने रखा अपना पक्ष सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘किसी असंवैधानिक कृत्य में एक संवैधानिक न्यायालय पक्ष क्यों बने? नोटा लाकर चुनाव आयोग वोट नहीं डालने के कृत्य को वैधता प्रदान कर रहा है।’ पीठ ने कहा कि नोटा का विकल्प प्रत्यक्ष मतदान में वोट डालने वाले व्यक्तियों के लिए शुरू किया गया था।
बाढ़ आने के चंद लम्हे पहले अपने वाहनों से निकले लोग, पानी में बह गईं दो कार