कोरापुट। एक मजबूर मां-बाप अपनी 7 साल की बेटी के मरने के बाद उसकी लाश कई मीलों तक ढोते रहे। अस्पताल से मिली एंबुलेंस ने उन्हे ये जानकर बीच रास्ते में ही उतार दिया कि उनकी बेटी मर चुकी है। उड़ीसा के मल्कागिरी जिले में शुक्रवार को ये मामला सामने आया।
बेटी के शव को ढोते रहे लाचार मां-बाप
दीनबंधु खेमुंडू और उसकी पत्नी अपने मृत बेटी बसरा को लेकर पैदल चलते रहे। कुछ देर बाद स्थानीय लोगों और पत्रकारों ने अधिकारियों पर दबाव बनाकर एंबुलेंस की व्यवस्था की। 108 और 102 एंबुलेंस हेल्पलाइन के राज्य प्रमुख सब्यसाची बिसवाल ने बताया कि जब डॉक्टर किसी मरीज को मृत घोषित कर देता है उसके बाद एंबुलेंस लाश को घर तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। अधिकारियों ने कहा कि एंबुलेंस ड्राइवर के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा और उसकी जांच भी की जाएगी।
बच्ची के मरने के बाद आधे रास्ते में ड्राइवर ने जबरदस्ती उतारा
मल्कागिरी के कलेक्टर के सुदर्शन चक्रवती ने कहा कि एंबुलेंस ड्राइवर के खिलाफ वो कार्रवाई जरूर करेंगे। खेमुंडु ने अनुसार उसकी बेटी बसरा को गुरुवार को तेज बुखार के बाद मथाली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार को बच्ची की हालत बिगडऩे के बाद उसे करीब 50 किमी. दूर मल्कागिरी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। खेमुंडु ने बताया कि एंबुलेंस आधा रास्ता पूरा कर चुकी थी। इस दौरान पांडरिपानी के पास उनकी बेटी ने दम तोड़ दिया। उसको स्थानीय अस्पताल में दिखाया गया और वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसके बाद दंपत्ती ने एंबुलेंस ड्राइवर से गुजारिश की कि उन्हे गांव तक छोड दे। मगर ड्राइवर ने उनकी बात नहीं मानी औैर नायकगुड़ा के पास दोनों को जबरदस्ती उतार दिया।
ड्राइवर ने दिया बेतुका सा बयान
वहीं ड्राइवर ने स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी को बताया कि उसे अपने हैड ऑफिस से बसरा की लाश परिवार तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी। इंसानियत के नाते उसने उन्हे नायकगुडा तक छोड़ दिया। नायकगुडा से उन लोगों का गांव पास में ही था। उड़ीसा में कुछ दिनों पहले ही एक लाचार आदमी दाना मांझी का केस सामने आया था। ये आदमी अस्पताल से एंबुलेंस ना मिलने पर अपनी बीवी की लाश लेकर 12 किमी. तक पैदल चला था।
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