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POCSO एक्ट: पहली बार इस वकील ने की थी बच्चों के दुष्कर्मियों के लिए मौत की मांग

राष्ट्रपति ने आज जिस पॉक्सो एक्ट में संसोधन को मंजूरी दी है इसकी अलख एडवोकेट अलख आलोक श्रीवास्तव ने जगाई थी।

Apr 22, 2018 / 04:49 pm

Chandra Prakash

Alakh Alok Srivastava
नई दिल्ली। अब देश में 12 साल तक के बच्चों से दुष्कर्म करने वाले दरिंदों को मौत की सजा मिलेगी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोषियों को मृत्युदंड के प्रावधान वाले आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2018 को रविवार को मंजूरी दे दी। लेकिन पहली बार इस कानून की मांग कब और कैसे हुई थी, ये जानना आज जरूरी है। राष्ट्रपति ने आज जिस अध्यादेश को कानून की शक्ल दी है, इसकी अलख एडवोकेट अलख आलोक श्रीवास्तव ने जगाई थी। उन्होंने ने ही पहली बार बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों के लिए मौत की सजा देने की वकालत की थी
यहां से शुरू हुई बच्चियों के लिए लड़ाई
एडवोकेट अलख आलोक श्रीवास्तव को पहली बार बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वालों के लिए मौत की सजा का ख्याल तब आया, जब उन्होंने अखबार में पढ़ा कि दिल्ली में 28 साल के एक युवक ने अपनी ही चचेरी बहन के साथ बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया। जिसकी उम्र मजह आठ महीने है। अलख को ये बात परेशान करने लगी। वो बच्ची को देखने के लिए पहुंचे। पता चला कि मासूम के माता-पिता मजदूरी करने थे और उनके पास बच्ची के इलाज के लिए भी पैसा नहीं थी। तब उन्होंने ऐसे जघन्य अपराध के लिए फांसी की मांग वाली एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने आलोक की याचिका पर संज्ञान लिया और मेडिकल बोर्ड गठित कर बच्ची की जांच करने के आदेश दिए। कोर्ट ने प्रशासन को भी निर्देश दिया कि बच्ची का पूरा इलाज करवाए।
जस्टिस कपाड़िया ने दिया हौसला
2012 में दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर में आयोजित दीक्षांत समारोह में पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया ने अलख आलोक श्रीवास्तव को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। एक अखबार से बात करते हुए आलोक ने बताया कि यहां जस्टिस कपाड़िया ने उनकी तारीफ की और कहा कि तुम जैसे युवा अगर समाज के लिए आगे आना चाहिए और न्याय के लिए लड़ना चाहिए।
सरकारी नौकरी छोड़ शुरू की प्रैक्टिस
जस्टिस कपाडिया की बात आलोक को अच्छी लगी। जिसके बाद उन्होंने 2014 में हिंदुस्तान पेट्रोलियम की सरकारी नौकरी छोड़ प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी। नौकरी छोड़ने पर दोस्तों और परिवार वालों ने समझाने की कोशिश की। घरवालों ने कहा कि अच्छी खासी सरकारी नौकरी छोड़ बेवजह मुकदमेबाजी में फंस रहे हो, लेकिन समाज के लिए लड़ने के जूनून ने ने आलोक के हौसले पस्त नहीं कर सके।
नए कानून में क्या होगा?
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बाल यौन अपराध निवारण (पोक्सो), भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) व साक्ष्य अधिनियम संशोधित हो गया है। इसके परिणाम स्वरूप जांच के लिए दो महीने की समय सीमा, सुनवाई पूरी करने के लिए दो महीने का समय और अपीलों के निपटारे के लिए छह महीने सहित जांच में तेजी व दुष्कर्म की सुनवाई के लिए कई उपाय किए गए हैं। इसमें 16 साल से कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी के लिए अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं होगा। इसका उद्देश्य देश भर में यौन अपराधियों के डेटाबेट बनाए रखने के अलावा हर राज्य में विशेष फोरेंसिक प्रयोगशालाओं व त्वरित अदालतों की स्थापना सहित जांच व अभियोजन को भी मजबूत करना है।

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