बता दें कि एक महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि पीजीआई की जांच में सामने आया है कि उसके गर्भ में पल रहा शिशु कई तरह की जन्मजात व गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है। भ्रूण अर्नोल्ड चियारी टू बीमारी से ग्रसित है।
Covid-19 : अब विमान में बैठने से पहले बोर्डिंग पास पर मोहर नहीं लगाएंगे CISF के जवान रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस बीमारी की वजह से महिला काफी तनावग्रस्त है। अगर उसका यह बच्चा पैदा हुआ तो वह शारीरिक और मानसिक तौर पर अक्षम होगा। उसके कई तरह की चिकित्सकीय प्रक्रियाओां से गुजरना होगा। इस आधार पर पीजीआई बोर्ड ने महिला का गर्भपात करवाने का सुझाव दिया गया था।
लेकिन मेडिकल टर्मिनेशन एंड प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत अगर गर्भ 20 सप्ताह से ज्यादा का हो गया हो तो जांच के लिए मेडिकल बोर्ड और गर्भपात के लिए हाईकोर्ट की इजाजत अनिवार्य होती है। इसके बाद हाईकोर्ट ने पीजीआई को मेडिकल बोर्ड का गठन कर महिला के गर्भ की जांच कराने और उसकी सीलबंद रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे।
असहनीय दर्द से तड़प रही थी गर्भवती महिला, डॉक्टर ने 20 KM कार चलाकर पहुंचाया अस्पताल न्यायालय ने मरीज को गरीब रोगी कल्याण कोष के तहत हर लाभ हासिल करने के लिए संस्थान के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।
पीजीआई के मेडिकल बोर्ड द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया कि गर्भ में पल रहा शिशु अर्नोल्ड चियारी टू नामक बीमारी से ग्रसित है। अगर वह पैदा हुआ तो शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम रह जाएगा और सामान्य जीवन नहीं जी पाएगा। इस रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने पीजीआई को तत्काल महिला के 24 माह पुराने गर्भपात करने का आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।