खतरनाक रेडिएशन मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन पर दुनिया भर में बहस चल रही हैं। लगातार शोध किए जा रहे हैं। रेडिएशन से होने वाले नुकसान को देखते हुए मोबाइल टावर्स को हटाने की मांग तेज हो गई है। हाल ही में ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने अपने शोधों का विश्लेषण किया। जिसमें पाया गया कि सरकार की तरफ से कराए गए शोध और अध्ययनों में मोबाइल रेडिएशन से ब्रेन ट्यूमर होने की आशंका ज्यादा है, जबकि मोबाइल इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनियों जब ऐसे अध्यन करती हैं तो शोध के नतीजों में आशंका को कम बताया जाता है। बता दें कि ये विश्लेषण 22 अध्ययनों का किया गया। ये अध्ययन दुनियाभर में 1996 से 2016 के बीच किए गए। 48,452 लोगों पर किए गए अध्ययनों को आधार बनाया गया था।
2004 में इजराइली शोधकर्ताओं एक शोध किया। जिसके बाद उन्होंने बताया कि जो लोग लंबे समय से स्थापित मोबाइल टावर के 350 मीटर के दायरे में रहते हैं, उन्हें कैंसर होने की आशंका चार गुना बढ़ जाती है। 2004 में जर्मन शोधकर्ताओं के अनुसार मोबाइल टावरों के 400 मीटर के दायरे में एक दशक से रह रहे लोगों में अन्य लोगों के मुकाबले कैंसर होने का अनुपात ज्यादा पाया जाता है। जानकारों का कहना है कि मोबइल से अधिक परेशानी उसके टॉवर्स से है। क्योंकि मोबाइल का इस्तेमाल हम लगातार नहीं करते, लेकिन टावर लगातार चौबीसों घंटे रेडिएशन फैलाते हैं। मोबाइल पर अगर हम घंटे भर बात करते हैं तो उससे हुए नुकसान की भरपाई के लिए हमें 23 घंटे मिल जाते हैं, जबकि टावर के पास रहने वाले उससे लगातार निकलने वाली तरंगों की जद में रहते हैं। विशेषज्ञ दावा करते हैं कि अगर घर के समाने टावर लगा है तो उसमें रहने वाले लोगों को 2-3 साल के अंदर सेहत से जुड़ी समस्याएं शुरू हो सकती हैं।