अगर बिहार रेजीमेंट ने लद्दाख की गलवान घाटी में बहादुरी दिखाई तो महारों, मराठों, राजपूतों, सिखों, गोरखाओं, डोगरा रेजीमेंट के जवान सीमा पर तंबाकू मलते बैठे थे क्या? महाराष्ट्र के वीरपुत्र सुनील काले कल पुलवामा में शहीद ( Pulwama Martyr ) हो गए। लेकिन पीएम कभी उनकी तारीफ नहीं की।
CM Arvind Kejriwal : कोरोना के खिलाफ Oximeter आपका सुरक्षा कवच है लेकिन बिहार में चुनाव होने के कारण ही सेना में जाति और प्रांत का महत्व बताया जा रहा है। इस तरह की राजनीति कोरोना वायरस ( Coronavirus ) से भी बदतर है। महाराष्ट्र में विपक्ष इस खुजली को खुजलाने का काम कर रहा है।
हर रेजिमेंट की अपनी परंपरा और गाथा है शिवसेना ( Shiv Sena ) के मुखपत्र सामना के संपादकीय में संजय राउत ( Sanjay Raut ) ने पीएम की ओर से बिहार रेजीमेंट की तारीफ किए जाने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सेना की कोई भी रेजीमेंट बस रेजीमेंट होती है। हर रेजीमेंट रेजीमेंट की अपनी परंपरा और गाथा है। सभी रेजीमेंट देश की होती है। किसी प्रांत, राज्य या किसी धर्म की नहीं होती है।
कोरोना ने फिर पकड़ी रफ्तार, केंद्र ने महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना के लिए भेजी टीमें शहीद देश के जवान होते हैं सिर्फ एक रेजीमेंट का नाम लेना। एक राज्य का नाम लेना, यह राष्ट्रीय अखंडता और एकात्म के लिए ठीक नहीं है। बिहार चुनाव के कारण बिहार रेजीमेंट का नाम लिया जा रहा है। गलवान वैली में पूरे देश की फौज है जो शहीद होते हैं, वे देश के जवान होते है। राष्ट्र की आत्मा होते हैं।