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क्या कहा याचिकाकर्ता ने
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दलील दी गई है कि सुप्रीम कोर्ट को तब तक दखल नहीं देना चाहिए जब तक कुछ गलत ना हो। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने चार महीने पहले ही मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद भी मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध के बाद भी केरल के कई इलाकों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इस मुद्दे को लेकर जमकर राजनीतिक बयानबाजी भी हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले सुनाया था यह फैसला
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में सबरीमला मंदिर को लेकर फैसला सुनाया था। इस फैसले में कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाएं के प्रवेश की अनुमति दी थी। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि किसी को आयु या जेंडर के आधार पर मंदिर जाने से नहीं रोका जा सकता है।