सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने कहा कि सिर्फ पांच जजों की संविधान पीठ ही अंतरिम राहत दे सकती है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को नई याचिकाओं पर चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर हाईकोर्ट की सुनवाई पर रोक लगा दी है। असम और त्रिपुरा के मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने अलग रखने का निर्देश दिया है।
बता दें कि सुनवाई शुरू होने से पहले कोर्ट नंबर एक पूरी तरह से खचाखच था। बुधवार को सीएए पर सुनवार्इ के लिए कोर्ट को तीनों दरवाज़े खोलने पड़े। CJI एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ मामले की सुनवाई में भीड़ के चलते परेशानी हुई। जिस पर अटार्नी जनरल ने कहा कि वकील अंदर नहीं आ पा रहे हैं। शांतिपूर्वक माहौल होना चाहिए। कुछ किया जाना चाहिए। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि ये देश की सबसे बडी अदालत है। इस पर सीजेआई ने सुरक्षाकर्मियों को बुलाया। CJI एसए बोबड़े ने कहा कि हमें बार एसोसिएशन के साथ बात करनी चाहिए।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि आज 144 याचिकाएं लगी हैं। फिर CJI बोले सभी को कोर्ट में आने की क्या जरूरत है। लेकिन सभी पक्षों के साथ बैठक करेंगे। लोग अपना सुझाव दे सकते हैं। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कुल मिलाकर 140 से ज्यादा याचिकाएं हैं। हमें हलफनामा भी दाखिल करना है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अभी प्रारंभिक हलफनामा दे रहे हैं। केंद्र को 60 याचिकाएं मिली हैं।