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इस जगह एक ही पंडाल के नीचे मनाई जाती है गणेश चतुर्थी और मुहर्रम

सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में मुहर्रम के जुलूस की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
हुबली के धारवाड़ जिले के बिदनाल क्षेत्र में गणेश पर्व और मुहर्रम मनाया जा रहा है।
यहां जब भी कई वर्षों बाद दोनों त्योहार एक साथ टकराते हैं, तो ऐसे ही मनाए जाते हैं। 

नई दिल्लीAug 28, 2020 / 05:18 pm

अमित कुमार बाजपेयी

SC says no to Muharram processions, but here Hindu-Muslims celebrating it with Ganesh Chaturthi under same pandal

SC says no to Muharram processions, but here Hindu-Muslims celebrating it with Ganesh Chaturthi under same pandal

बेंगलुरु। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देश भर में मुहर्रम के काफिले को निकाले जाने की अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा कि इससे समाज में गड़बड़ी फैलने के साथ ही एक समुदाय पर कोरोना वायरस फैलाने के लिए निशाना साधा जाएगा। वहीं, ऐसी स्थिति में कर्नाटक स्थित हुबली के धारवाड़ जिले के बिदनाल क्षेत्र में सद्भाव का एक बड़ा उदाहरण देखने को मिल रहा है।
इन दिनों जब भारत में गणेश चतुर्थी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है और इस दौरान मोहर्रम भी शुरू हो गया है। तो इस इलाके में हिंदू और मुस्लिम एक ही पंडाल में एक साथ गणेश पर्व और मुहर्रम मना रहे हैं।
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यहां जब भी इन दोनों के त्योहार की तिथियां टकराती हैं, तो एक ही साथ गणेश चतुर्थी और मुहर्रम एक ही पंडाल के नीचे आयोजित किए जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहले भी होता आया है और हम उसी परंपरा को आगे ले जा रहे हैं।
एक श्रद्धालू मोहन ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि एक ही पंडाल में गणेश चतुर्थी और मुहर्रम जैसे समान उत्सव पहले भी यहां मनाए जाते रहे हैं। हम उसी परंपरा का पालन कर रहे हैं।
वहीं, मौलाना जाकिर काजी ने कहा कि हर 30-35 साल में गणेश चतुर्थी और मुहर्रम की तारीखें आपस में टकराती हैं। इस गांव में कोई हिंदू या मुस्लिम व्यक्ति अकेला नहीं है, दोनों एक साथ आते हैं। हम सब अल्लाह की संतान हैं।
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गौरतलब है कि देश में गणेश चतुर्थी बीते 22 अगस्त से भारत में शुरू हुई है और कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए प्रत्येक राज्य में त्योहार को लेकर अलग-अलग दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मुहर्रम पर ताजिये का जुलूस निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा है कि इस मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे लोगों का स्वास्थ्य और उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश के सैयद कल्बे जवाद की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने ओडिशा में रथ यात्रा उत्सव की अनुमति देने वाले जून के आदेश का हवाला दिया गया था।
इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, “आप पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा का उल्लेख कर रहे हैं, जो एक जगह और एक निर्धारित मार्ग पर थी। उस मामले में हम जोखिम और आदेश पारित कर सकते हैं। कठिनाई यह है कि आप पूरे देश के लिए एक समान आदेश देने की इजाजत मांग रहे हैं। अगर आपने किसी स्थान विशेष के लिए मांग की होती तो हम जोखिम का आकलन कर सकते थे।”
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