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दरअसल, शिवसेना ने रामायण को लेकर यह टिप्पणी अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में की है। सामना में लिखा है कि अयोध्या में राम मंदिर का अभी निर्माण होना, लेकिन परम भक्त और वफादारी के अवतार भगवान हनुमान की जाति को लेकर भाजपा ने नई बहस को जन्म दे दिया है। पार्टी ने कहा कि भगवान हनुमान के धर्म और जाति को लेकर बहस करने की कोई तुक नहीं है। संपादकीय में यह भी कहा कि देश में पिछले दिनों संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हनुमान जी को दलित बताया था। इसके बाद इस मुददे को लेकर शुरू हुई नई बहस ने हनुमान जी की नई—नई जातियां बता दीं।
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पार्टी की ओर से कहा गया कि भगवान हनुमान की जाति को लेकर कोई टिप्पणी करना सबसे बड़ी मूर्खता है। इस दौरान कहा गया कि आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल के सहकर्मी लक्ष्मी नारायण चौधरी ने विधानसभा में हनुमान जी पर जातिगत टिप्पणी करते हुए उनको ऑन रिकॉर्ड जाट बता दिया। जबकि आचार्य निर्भय सागर महाराज ने जैन ग्रंथों का हवाला देते हुए उनको जैन बता दिया। सामना में कहा गया कि यूपी विधानसभा में जो नई रामायण लिखी जा रही है, उसके मुख्य पात्रों के साथ भी जाति का ठप्पा लगाया जा रहा है।