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Mehbooba Mufti की हिरासत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा बड़ा सवाल

locationनई दिल्लीPublished: Sep 29, 2020 04:50:14 pm

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से पूछा कि क्या हमेशा के लिए महबूबा मुफ्ती हिरासत में हैं?
अदालत महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती द्वारा दायर याचिका पर कर रही थी सुनवाई।
केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा पक्ष, दी कई दलीलें।

Supreme Court asked Centre Govt: Can Mehbooba Mufti detention be forever?

Supreme Court asked Centre Govt: Can Mehbooba Mufti detention be forever?

नई दिल्ली। महबूबा मुफ्ती की रिहाई से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से बड़ा सवाल पूछा। अदालत ने केंद्र से कहा कि हमेशा के लिए किसी को हिरासत में नहीं रखा जा सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की हिरासत को एक साल से आगे बढ़ाया जा सकता है?
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सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ ने यह टिप्पणी की। अदालत इल्तिजा मुफ्ती की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह याचिका इल्तिजा की मां और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता के सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) और उसके बाद के विस्तार के अंतर्गत हिरासत के आदेश को चुनौती देने से जुड़ी है।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति किशन कौल ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि महबूबा मुफ्ती कितने वक्त से हिरासत में हैं और इसका आधार क्या है? पीठ ने विशेष रूप से यह भी जानना चाहा कि क्या इस हिरासत को एक साल से आगे भी बढ़ाया जा सकता है। मेहता ने मुफ्ती की हिरासत को सही ठहराते हुए अदालत को बताया कि यह फैसला पब्लिक ऑर्डर के आधार पर लिया गया है।
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इस पर न्यायमूर्ति किशन कौल ने पूछा कि अदालत यह जानना चाहती है कि इस तरह की हिरासत को कब तक बढ़ाया जा सकता है? क्या यह हिरासत बहुत लंबे वक्त तक के लिए बढ़ाई जा सकती है? इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से अदालत से आग्रह किया कि किसी भी ऑब्जर्वेशन को रिकॉर्ड ना किया जाए। हालांकि न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि ये सभी ऑब्जर्वेशन न्यायालय के सवाल हैं।
मेहता ने अदालत को बताया कि वह तथ्यों और कानून के आधार पर सवालों के जवाब देंगे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने महबूबा मुफ्ती के बयानों का हवाला देते हुए पब्लिक ऑर्डर पर इनके प्रभाव को बताया। इस पर न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि कभी-कभी कोई व्यक्ति ऐसी बहुत सारी बातें कह सकता है, जिसे नहीं कहा जाना चाहिए।
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मेहता ने अदालत से कहा कि ऐसी बातों को एक ऐसे राज्य में नहीं कहा जाना चाहिए, जिसका इतिहास आतंकवाद का रहा हो। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को हिरासत की अधिकतम अवधि के संबंध में सामने आए इस मामले में जवाब दाखिल करने की अनुमति दी और जानना चाहा कि क्या हिरासत जारी रखने का प्रस्ताव है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि इल्तिजा की याचिका में से एक में परिजनों को उनसे मुलाकात की अनुमति देना भी शामिल था। इस पर इल्तिजा के वकील ने अदालत को तर्क दिया कि जेलों में भी बंद लोगों को उनके परिजनों से मिलने की इजाजत है। अब सुप्रीम कोर्ट ने ने इस मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को किए जाने की तारीख दी है।
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