जस्टिस अरूण मिश्र, जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस रवीन्द्र भट्ट की बेंच मामले ने एससी-एसटी संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ( Modi govt ) के इस कानून में किए गए संशोधन को मंजूरी मिल गई है। अब एससी-एसटी संशोधन कानून के मुताबिक शिकायत मिलने के बाद तुरंत एफआईआर ( FIR ) दर्ज होगी और गिरफ्तारी होगी।
दिल्ली चुनाव में मतगणना से पहले बीजेपी महिला नेता की गोली मारकर हत्या दिल्ली में लगी भीषण आग, मतगणना से ठीक पहले सबकुछ जलकर खाक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अब बिना जांच के पुलिस एससी-एसटी एक्ट के तहत आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर सकती है। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरण और जस्टिस रवींद्र भट की पीठ इन याचिकाओं पर फैसला सुनाया।
दो जजों ने किया समर्थन
इस फैसले को लेकर दो न्यायधीशों जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरण ने सरकार से संशोधन का समर्थन किया जबकि तीसरे जज जस्टिस रवींद्र भट ने इसका विरोध किया। यह है मामला
आपको बता दें कि 20 मार्च 2018 में कोर्ट ने एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग के मद्देनजर इसमें मिलने वाली शिकायतों को लेकर स्वत: एफआईआर और गिरफ्तारी के प्रावधान पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद संसद में कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए कानून में संशोधन किया गया था। इसी संशोधित कानून की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
केंद्र सरकार के एससी-एसटी एक्ट (संशोधन) के तहत गिरफ्तार किसी आरोपी को अग्रिम जमानत देने के प्रावधानों पर रोक लगाता है। ऐसे में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच के इस फैसले पर असहमति जताते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
देशभर में हुए थे प्रदर्शन
दरअसल, एससी-एसटी कानून, 1989 के हो रहे दुरुपयोग के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के तहत मिलने वाली शिकायत पर स्वत: एफआईआर और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इसके बाद संसद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए कानून में संशोधन किया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे। खासतौर से दलित समुदाय के लोगों ने जगह-जगह बाजार बंद कराकर प्रदर्शन किए थे। इसके बाद सरकार ने इस फैसले को बदलने का फैसला लिया था।