तीस हजारी मामला : हाईकोर्ट ने 2 एएसआई को दी अंतरिम सुरक्षा न्यायमूर्तियों ने पूछा- आबादी के तीन फीसदी लोगों के पास ही है कार सुनवाई के दौरान, न्यायधीशों ने बीते दो साल में एकत्रित वायु गुणवत्ता सूचकांक को देखते हुए दिल्ली सरकार की ऑड-ईवन योजना पर गौर किया। न्यायमूर्तियों ने दिल्ली सरकार के वकील और वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि कुल आबादी के केवल तीन प्रतिशत लोग कार रखते हैं। सड़कों पर इन कारों की संख्या कम करने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है।
महाराष्ट्र: भाजपा-शिवसेना की कड़वाहट ने किया कांग्रेस-राकांपा को एकजुट अदालत ने माना पराली नहीं स्थानीय प्रदूषण बड़ी समस्या अदालत ने पाया कि प्रदूषण में 40 प्रतिशत योगदान देने वाली पराली जलाने की घटना को अगर बाहर कर दिया जाए तो दिल्ली का स्थानीय प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। अदालत ने पूछा कि- “अधिकारियों के मुताबिक, पराली जलाने की घटनाओं में कहीं पांच प्रतिशत की कमी आई है… हम दिल्ली के स्थानीय वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर चिंतित है।”
जेएनयू: तोड़फोड़ करने वाले छात्रों के खिलाफ दर्ज होगी एफआईआर सवाल किया- ऑड-ईवन से क्या हासिल किया? अदालत ने पाया कि ‘अधिकारियों की अेर से पेश किए गए आंकड़े दिखाते हैं कि ऑड-ईवन योजना ने बमुश्किल ही वायु गुणवत्ता सुधारने में कोई असर डाला है। सवाल यह है कि आपने इस योजना से क्या हासिल किया?’ अदालत ने ऑड-ईवन के सामाजिक परिपेक्ष्य के बारे में कहा कि- “ऑड-ईवन केवल मध्यवर्ग पर प्रभाव डालेगा, क्योंकि संपन्न वर्गो के पास कई कारें हैं… ये कोई समाधान नहीं है बल्कि सार्वजनिक परिवहन हो सकता है। लेकिन इस बारे में कुछ भी नहीं किया गया।” इस मामले पर सुनवाई 25 नवंबर को भी जारी रहेगी।