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जेलों की बदहाली पर SC सख्त, केंद्र और राज्य सरकारों को लगाई फटकार

अब देश की सर्वोच्च अदालत ने जेलों की बदहाली को लेकर निराशा जताई है।

Nov 22, 2018 / 09:17 pm

Anil Kumar

जेलों की बदहाली पर SC सख्त, केंद्र और राज्य सरकारों को लगाई फटकार

जेलों की बदहाली पर SC सख्त, केंद्र और राज्य सरकारों को लगाई फटकार

नई दिल्ली। देश की लचर कानून व्यवस्था को लेकर सवाल हमेशा से उठता रहा है। साथ ही साथ हमारे देश की जेलों के अंदर की बदहाली और सुरक्षा व्यवस्था पर भी समय-समय पर सवाल खड़े होते रहे हैं। इस बाबत अब देश की सर्वोच्च अदालत ने जेलों की बदहाली को लेकर निराशा जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में गुरुवार को केंद्र व राज्य सरकारों को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कारागारों और बाल सुधार गृहों की बदहाली को लेकर केंद्र व राज्यों की सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा कि सब कुछ ‘मजाक’ बनकर रह गया है। सुनवाई करते हुए जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि कृपया, कारागारों और बाल सुधार गृह जाकर वहां की दशा देखिए। अपने अधिकारियों को अपने दफ्तरों से निकलकर जेलों की दशा देखने को कहिए। पानी के नल की टोंटियां काम नहीं करती हैं। शौचालय उपयोग में नहीं हैं। सब बंद हो चुके हैं और बदहाल हैं। उनको देखने को कहिए, जिससे वे समझेंगे कि कैदी किस तरह की दयनीय दशा में रहते हैं।

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हरियाणा की जेलों के संबंध में जजों ने की यह टिप्पणी

आपको बता दें कि अदालत ने कारागृहों और बाल सुधार गृहों की दशा सुधारने के प्रति सरकारी मशीनरी की बेरुखी और संवदेनहीन व्यवहार पर नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार को फटकार लगाई है। जस्टिस लोकुर ने कहा कि आपने सब कुछ को मजाक बनाकर रख दिया है। कारागारों की दशा सुधारने के मुद्दे को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के तरीकों की आलोचना करते हुए जस्टिस लोकुर ने कहा कि इस अदालत के दो न्यायाधीश इसलिए नाराज हैं क्योंकि उन्होंने देखा कि क्या हो रहा है। बता दें कि जस्टिस लोकुर ने न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल (सेवानिवृत्ति) और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित द्वारा हरियाणा में कारागारों और बाल सुधार गृहों का दौरा करने के संदर्भ में यह बात कही। इस दौरे के बाद देशभर में कारागारों और बाल सुधार गृहों की दशा की न्यायिक जांच शुरू हुई। शीर्ष अदालत ने सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) की रिक्तियों के मामले की सुनवाई के दौरान यह बात कही।

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जेलों में कर्मचारियों की है भारी कमी

आपको बता दें कि सीएफएसएल में काफी संख्या में खाली पदों पर आपत्ति जाहिर करते हुए जस्टिस लोकुर ने कहा कि हमारी आपराधिक न्यायप्रणाली काम नहीं कर रही है। हमारे कारागृह बदहाल हैं। दुनियाभर में कर्मचारियों की कमी का औसत 16 फीसदी है, लेकिनि भारत में 62 फीसदी है। उन्होंने कहा कि हम दुनिया को किस तरह का संदेश दे रहे हैं।लोगों (अधिकारियों) को जेल भेजिए और जीवन का आनंद लीजिए। अदालत ने कारागृह सुधारों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अमिताव राव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति के प्रति उदासीन व्यवहार के लिए भी केंद्र सरकार की आलोचना की। इससे पहले भी कई ऐसे अवसर आए हैं जब अदालत ने सरकारों को फटकार लगाई है लेकिन मामला जस का तस है। कोई सुधार नहीं हो पाया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की जेलों में सुरक्षा व्यव्सथा और बदहाल हालात के बारे में चर्चा होती रही है।

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