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मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, महाराष्ट्र सरकार को भेजा नोटिस

Maratha Reservation पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
सुप्रीम कोर्ट Maharashtra government को नोटिस जारी किया
मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण प्रदान

Jul 12, 2019 / 12:49 pm

Mohit sharma

Maratha Reservation

मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, महाराष्ट्र सरकार को भेजा नोटिस

नई दिल्ली। मराठा आरक्षण ( Maratha reservation ) के मुद्दे पर मराठा सरकार को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) से बड़ी राहत मिली है। दरअसल, शुक्रवार को मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही र्कार्ट ने महाराष्ट्र सरकार ( Maharashtra government ) को नोटिस जारी कर आरक्षण रेस्ट्रोपेक्टिव प्रभाव से लागू नहीं होने की बात कही है।

 

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आरक्षण पर 50 प्रतिशत कैप के उल्लंघन की बात

हालांकि, कोर्ट ( Supreme Court ) ने इस मसले पर दो हफ्ते बाद सुनवाई करने की बात कही। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में एजुकेशन और गवर्नमेंट सर्विस में मराठा समुदाय ( Maratha community ) को 16 प्रतिशत आरक्षण ( Maratha Reservation ) प्रदान किया गया है। एक गैर सरकारी संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें आरक्षण को बरकरार रखने की बात कही गई थी। दरअसल, याचिका में संविधान पीठ द्वारा तय आरक्षण पर 50 प्रतिशत कैप के उल्लंघन की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा है।

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सरकारी नौकरियों में आरक्षण

जून में बॉम्बे हाई कोर्ट ( Bombay High Court ) ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) श्रेणी के तहत मराठा समुदाय ( maratha community ) को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण ( Maratha Reservation ) की वैधता को बरकरार रखा था लेकिन इसे 16 प्रतिशत से कम कर दिया था।

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मराठा आरक्षण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 जुलाई को को बॉम्बे हाई कोर्ट ( bombay high court ) के उस फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी, जो मराठाओं ( maratha community ) को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की अनुमति देता है। शीर्ष अदालत में शुक्रवार को मामले की सुनवाई तय की थी।

 

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Maratha Reservation

शिक्षा में 12 प्रतिशत और नौकरियों में 13 प्रतिशत

अदालत ने प्रस्तावित 16 प्रतिशत आरक्षण ( Maratha Reservation ) को नीचे लाते हुए यह कहा था कि इससे ज्यादा कोटा उचित नहीं है। न्यायाधीश रंजीत मोरे और न्यायाधीश भारती डांगरे की खंडपीठ ने यह भी कहा कि सरकार एसईबीसी के लिए एक अलग श्रेणी बनाने और उन्हें आरक्षण देने का अधिकार रखती है।

 

Maratha Reservation

नया कोटा प्रतिशत सरकार को स्वीकार्य

यह फैसला राज्य सरकार ( maharashtra government ) के नवंबर 2018 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में आया, जिसमें एसईबीसी श्रेणी के तहत मराठा समुदाय ( maratha community ) को 16 प्रतिशत आरक्षण ( Maratha Reservation ) दिया गया है। अपनी शुरुआती प्रतिक्रिया में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ( CM Devendra Fadnavis ) ने अदालत के फैसले का स्वागत किया था और संकेत दिया था कि अनुशंसित नया कोटा प्रतिशत सरकार को स्वीकार्य है।

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सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत

याचिकाकर्ताओं में से एक की वकील विजयलक्ष्मी खोपाडे ने कहा था कि अदालत ने नौ सदस्यीय एम.जी. गायकवाड़ कमीशन की रिपोर्ट का भी समर्थन किया। कमीशन ने मराठों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया है।

 

Maratha Reservation

खोपाडे ने बताया था कि न्यायाधीशों ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित आरक्षण ( Maratha Reservation ), पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा पेश उचित आंकड़ों पर आधारित था।

 

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