आरक्षण पर 50 प्रतिशत कैप के उल्लंघन की बात
हालांकि, कोर्ट ( Supreme Court ) ने इस मसले पर दो हफ्ते बाद सुनवाई करने की बात कही। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में एजुकेशन और गवर्नमेंट सर्विस में मराठा समुदाय ( Maratha community ) को 16 प्रतिशत आरक्षण ( Maratha Reservation ) प्रदान किया गया है। एक गैर सरकारी संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें आरक्षण को बरकरार रखने की बात कही गई थी। दरअसल, याचिका में संविधान पीठ द्वारा तय आरक्षण पर 50 प्रतिशत कैप के उल्लंघन की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा है।
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सरकारी नौकरियों में आरक्षण
जून में बॉम्बे हाई कोर्ट ( Bombay High Court ) ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) श्रेणी के तहत मराठा समुदाय ( maratha community ) को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण ( Maratha Reservation ) की वैधता को बरकरार रखा था लेकिन इसे 16 प्रतिशत से कम कर दिया था।
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मराठा आरक्षण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 जुलाई को को बॉम्बे हाई कोर्ट ( bombay high court ) के उस फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी, जो मराठाओं ( maratha community ) को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की अनुमति देता है। शीर्ष अदालत में शुक्रवार को मामले की सुनवाई तय की थी।
शिक्षा में 12 प्रतिशत और नौकरियों में 13 प्रतिशत
अदालत ने प्रस्तावित 16 प्रतिशत आरक्षण ( Maratha Reservation ) को नीचे लाते हुए यह कहा था कि इससे ज्यादा कोटा उचित नहीं है। न्यायाधीश रंजीत मोरे और न्यायाधीश भारती डांगरे की खंडपीठ ने यह भी कहा कि सरकार एसईबीसी के लिए एक अलग श्रेणी बनाने और उन्हें आरक्षण देने का अधिकार रखती है।
नया कोटा प्रतिशत सरकार को स्वीकार्य
यह फैसला राज्य सरकार ( maharashtra government ) के नवंबर 2018 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में आया, जिसमें एसईबीसी श्रेणी के तहत मराठा समुदाय ( maratha community ) को 16 प्रतिशत आरक्षण ( Maratha Reservation ) दिया गया है। अपनी शुरुआती प्रतिक्रिया में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ( CM Devendra Fadnavis ) ने अदालत के फैसले का स्वागत किया था और संकेत दिया था कि अनुशंसित नया कोटा प्रतिशत सरकार को स्वीकार्य है।
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सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत
याचिकाकर्ताओं में से एक की वकील विजयलक्ष्मी खोपाडे ने कहा था कि अदालत ने नौ सदस्यीय एम.जी. गायकवाड़ कमीशन की रिपोर्ट का भी समर्थन किया। कमीशन ने मराठों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया है।
खोपाडे ने बताया था कि न्यायाधीशों ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित आरक्षण ( Maratha Reservation ), पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा पेश उचित आंकड़ों पर आधारित था।