एमआईटी और वीएसई ने संयुक्त रुप से किया अध्ययन
बता दें कि यह अध्ययन अमरीका की मैसेच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) और कनाडा के वेंकूवर स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (वीएसई) ने संयुक्त रुप से किया है। विशेषज्ञों ने 2009 से 2016 के बीच फेसबुक से 2.4 अरब पोस्ट को कलेक्ट किया और ट्विटर के करीब 1.1 अरब पोस्ट को अपने अध्ययन में शामिल किया। उन्होंने इन पोस्ट से जुड़ी भावनाओं का अध्ययन किया। जिसमें यह बात सामने आई कि फेसबुक या ट्विटर पर खुद को किस तरह से लोग स्वयं को अभिव्यक्त करते हैं, यह मौसम से प्रभावित होता है।
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इससे पहले भी की किया गया था अध्ययन
गौरतलब है कि इससे पहले एक अध्ययन किया गया था जिसमें मौसम और लोगों की भावनात्मक स्थिति के बीच एक संपर्क होने की बात सामने आई थी, लेकिन इस बात को पूरी तरह से नहीं बताया गया था कि मौसम की किन हालातों में लोगों की मनोदशा पर साकारात्मक और नकारात्मक असर होता है। विशेषज्ञों ने इस बात की संपूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए और गहराई से अध्ययन किया जिसमें यह बात सामने आई है कि मौसम के अनुरुप लोगों के विचार भी बदल जाते हैं।
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अध्ययन के लिए किया गया खास तरीके का प्रयोग
आपको बता दें कि अध्ययन के लिए विशेषज्ञों ने एक खास तरह के टूल का प्रयोग किया। विशेषज्ञों ने इसके लिए कुछ की-वर्ड के आधार पर सकारात्मक और नकारात्मक पोस्ट को अलग-अलग किया। इसमें विशेषज्ञों ने पाया कि तापमान, पतझड़, उमस और बादल छाने जैसी मौसम की स्थितियों का लोगों द्वारा अपनी पोस्ट रखे गए विचारों से गहरा नाता था। हालांकि जब मौसम का तापमान 20 से 30 डिग्री तक था तो लोगों की सकारात्मक पोस्ट ज्यादा थीं। लेकिन पतझड़ के मौसम में लोगों की पोस्ट में कुछ नकारात्मक भाव दिखाई दे रहे थे। उमस भरे मौसम में 80 प्रतिशत लोगों की पोस्ट नकारात्मक भाव को प्रदर्शित कर रहा था। हालांकि विशेषज्ञों ने यह जरुर माना है कि भावनाओं के विश्लेषण के लिए इस्तेमाल किया गया टूल पूरी तरह दक्ष नहीं है, लेकिन यह मौसम और हमारी सोच के संबंध की झलक जरूर देता है।