Sad story of unclaimed dead body, lives buried in the waiting of loved ones
नई दिल्ली। देश में आयुष्मान योजना जैसी बेहतरीन स्वाथ्य स्कीम हैं लेकिन पैसे के अभाव में प्रयागराज में तीन साल की बच्ची ने दम तोड़ दिया। बच्ची को पेट में तकलीफ थी, परिवार के पास इलाज के पैसे नहीं थे, इस कारण अस्पताल ने बच्ची के साथ ऐसी अमानवीयता दिखाई कि उसकी तड़प-तड़पकर जान चली गई। आरोप है कि अस्पताल ने बच्ची के ऑपरेशन के बाद बिना टांका लगाए फटे पेट के साथ ही उसे अस्पताल से बाहर निकाल दिया।
West Bengal: मिथुन चक्रवर्ती के भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर बोले कैलाश विजयवर्गीयजांच कमिटी गठित अस्पताल की संवेदनहीनता के प्रशासन की ओर से जांच कमिटी बिठाई गई है। एडीएम सिटी और सीएमओ इस मामले की जांच करेंगे। दोषियों पर जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। वहीं, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने प्रयागराज कलेक्टर से 24 घंटे के अंदर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
सख्त कार्रवाई की मांग एनसीपीसीआर ने जांच करने की मांग के साथ अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ के खिलाफ आईपीसी की सख्त धाराओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आयोग ने बच्ची के परिवार को मुआवजा देने को भी कहा। उधर बच्ची की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, लेकिन वह इतनी दर्दनाक हैं कि किसी का भी दिल दहल सकता है।
पेट में दर्द के इलाज को लेकर पहुंची थी अस्पताल प्रयागराज के करेली थाना क्षेत्र के करेंहदा निवासी तीन वर्ष की खुशी मिश्रा को पेट में दर्द था। मां-बाप ने इलाज के लिए प्रयागराज के धूमनगंज के रावतपुर स्थित यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराया था। आंत में इन्फेक्शन की समस्या को बताकर कुछ दिन बाद बच्ची के पेट का ऑपरेशन किया गया। मगर टांके वाली जगह पर पस की समस्या हो गई थी।
चार-पांच दिन बाद उसी जगह पर एक और ऑपरेशन किया गया। बच्ची के पिता के अनुसार इस ऑपरेशन के लिए उससे डेढ़ लाख रुपये मांगे गए। बाद में अस्पताल प्रशासन ने पांच लाख रुपये की डिमांड की। जब रुपए नहीं दे पाए तो प्रशासन ने बच्ची को फटे पेट के साथ ही परिवार समेत बाहर भेज दिया। कहा कि अब इसका इलाज यहां नहीं हो पाएगा।
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