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Kargil Vijay Diwas: पाकिस्तान को खदेड़ने के बाद भी 22 साल से इस बात का अफसोस मना रहे पूर्व आर्मी चीफ वीपी मलिक

कारगिल युद्ध के दो दशक बाद भी भारत के पूर्व आर्मी चीफ वीपी मिलक को सता रहा एक बात का अफसोस, बोले- पाकिस्तान को धूल तो चटा दी लेकिन रह गया इस बात का मलाल

Jul 26, 2021 / 12:54 pm

धीरज शर्मा

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नई दिल्ली। करगिल युद्ध ( Kargil War ) को 22 साल पूरे हो गए हैं। वर्ष 1999 की में जब युद्ध छिड़ा था तब जनरल वीपी मलिक भारत के सैन्य प्रमुख थे। इस युद्ध में पाकिस्तान को खदेड़ने के दो दशक बाद भी पूर्व आर्मी चीफ और जनरल वीपी मलिक को एक बात का अफसोस है।
करगिल विजय दिवस ( Kargil Vijay Diwas ) की 22वीं वर्षगांठ के मौके पर पूर्व आर्मी चीफ ने बताया कि कैसे संघर्ष ने युद्ध के नियमों और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों को बदल दिया। जनरल वीपी मलिक का मानना है कि सीजफायर का ऐलान करने से पहले ही भारत सरकार को अपनी सेना को एलओसी ( LOC ) से सटे पाकिस्तानी क्षेत्रों पर कब्जा करने की इजाजत दे देनी चाहिए थी।
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जनरल वीपी मलिक मानते हैं कि करगिल युद्ध ने भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते को पूरी तरह बदलकर रख दिया। हालांकि, इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को खदेड़ कर रख दिया था लेकिन जरनल मलिक मानते हैं कि सेना को नियंत्रण रेखा से सटे पाकिस्तानी इलाकों पर कब्जे की मंजूरी दे देनी चाहिए थी।
पूर्व आर्मी चीफ मलिक ने कहा कि ऑपरेशन विजय दृढ़ राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक कार्रवाई का मिश्रण था, जिसने हमें एक प्रतिकूल स्थिति को एक जोरदार सैन्य और राजनयिक जीत में बदलने में सक्षम बनाया।
मलिक के मुताबिक इस युद्ध ने भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते को पूरी तरह बदल दिया। हालांकि, इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटाई।

एन अंग्रेजी अखबार से बातचीत में जनरल वीपी मलिक ने बताया कि पाकिस्तान अपने मकसद में राजनीतिक और सैन्य लागत के साथ विफल रहा।
खराब खुफिया और अपर्याप्त निगरानी के कारण भारतीय सेना को पुनर्गठित करने और उचित जवाबी कार्रवाई करने में कुछ समय लगा लेकिन, युद्ध के मैदान में सैन्य सफलताओं और एक सफल राजनीतिक-सैन्य रणनीति के साथ भारत ने न सिर्फ अपने लक्ष्य को हासिल किया। बल्कि
एक जिम्मेदार, लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि को बढ़ाने में भारत सक्षम रहा।

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युद्ध में सामने आईं कई खामियां
मलिक ने कहा, ‘जब युद्ध शुरू हुआ तब हमें कुछ भी नहीं पता था और हम पाकिस्तान की ओर से अचानक पैदा की गई स्थिति का सामना कर रहे थे।’
इस दौरान खुफिया तंत्र और सर्विलांस की विफलता के कारण घुसपैठियों की पहचान को लेकर काफी भ्रम की स्थिति बनी।

यही नहीं हमारी फ्रंटलाइन फॉर्मेशन घुसपैठ का पता लगाने में नाकामयाब रही और हमें उनकी दुश्मन की लोकेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही थी।
कुछ समय बाद भारतीय सेना करगिल में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हुई। यही वो वक्त था जब सरकार को संघर्षविराम पर राजी होने से पहले, हमें LoC से सटे कुछ पाकिस्तानी क्षेत्रों पर कब्जा करने की इजाजत देनी चाहिए थी।
पूर्व पीएम अटल बिहारी के लिए ये बड़ा झटका
जनरल वीपी मलिक ने बताया कि इस हरकत के बाद भारत का पाकिस्तान से भरोसा पूरी तरह से उठ गया। भारत को अब पता था कि पाकिस्तान बड़ी ही आसानी से किसी भी समझौते को तोड़ सकता है।
उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी के लिए भी यह बहुत बड़ा झटका था, जिन्हें यह समझने में थोड़ा वक्त लगा कि घुसपैठिए पाकिस्तानी आम नागरिक नहीं बल्कि वहां की सेना के जवान थे।
वाजपेयी ने उस समय अपने पाकिस्तानी समकक्ष रहे नवाज शरीफ से कहा था, ‘आपने पीठ में छुरा घोंप दिया।’

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